गुजरात के साबरकांठा और अरवल्ली जिले में छह बच्चों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि इन सभी बच्चों की मौत चांदीपुरा वायरस से हुई है। इस वायरस से संक्रमित अन्य 6 बच्चों का इलाज भी चल रहा है। इन बच्चों का इलाज जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में चल रहा है। चांदीपुरा वायरस के कुछ मामले राजस्थान में भी सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उदयपुर इलाके में 2 बच्चों में इस वायरस के लक्षण मिले हैं। हालांकि इसमें से एक बच्चे की मौत हो गई है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि राज्य में कुल संक्रमित वायरस के 12 मामले सामने आए हैं। सभी बच्चों के खून के नमूने पुष्टि के लिए पुणे स्थित वायरोलॉजी प्रयोगशाला में भेजे गए हैं और उनके परिणाम का इंतजार है। लेकिन बीमारी के लक्षण चांदीपुरा वायरस होने की संभावना जता रहे हैं।
ये भी पढ़ेंः कोरोना की तरह एक और वायरस की देश में दस्तक, गुजरात के बाद राजस्थान में बढ़े केस
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। यह पिछले सालों में लगातार इस मौसम में दिखाई देता है और इसके मामले सामने आते रहे थे। खासकर यह वायरस ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलाता है। इसलिए घबराए नहीं बल्कि सतर्कता बरतें। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर आरोग्य विभाग की तरफ से साबरकांठा और अरवल्ली के गांवों में कीटनाशक का भी छिड़काव किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर जांच कर रही है।
क्या है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है। इसके मुख्य शिकार बच्चे होते हैं, जो दिमागी बुखार से ग्रसित हो जाते हैं। यह काफी पुराना वायरस है और 2003 में भी इसके मामले सामने आए थे।
ये भी पढ़ेंः चीन ने लैब में बनाया एक और जानलेवा वायरस; केवल 3 दिन में ले सकता है जान!
चांदीपुरा वायरस मुख्य रूप से 2 से 15 साल के बच्चों पर असर करता है। इसके लक्षण इन्फ्लुएंजा की तरह होते हैं, लेकिन ये बीमारी ऑटोइम्यून एन्सेफ्लाइटिस का कारण भी बनती है। इस स्थिति में मृत्यु दर 50 से 70 फीसदी होती है।
यह एक वेक्टर बोर्न वायरस है। इसका ट्रांसमिशन सैंडफ्लाइज फ्लैबोटामस पापाटासी के जरिए होता है। यह वायरस कुछ मच्छरों और कीड़ों में भी होता है। जब ये कीड़े बच्चों को काटते हैं तो उससे इंफेक्शन होता है।
चांदीपुरा वायरस के संक्रमण में मरीज को बुखार, उल्टी-दस्त, सिरदर्द और नसों में खिंचाव की समस्या होती है।
चांदीपुरा वायरस की पहचान सबसे पहले महाराष्ट्र में नागपुर जिले के चांदीपुरा गांव में हुई थी। इसी वजह से वायरस का नाम चांदीपुरा हो गया। फिलहाल इसकी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।