गुजरात में नई शिक्षा नीति 2022 के तहत एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया जा रहा है। अब राज्य के सभी प्राइमरी स्कूलों में हर सैटरडे को “नो स्कूल बैग डे” मनाया जाएगा। यह रूल 5 जुलाई 2025 से पूरे गुजरात के प्राइमरी स्कूलों में अपलाई हो रहा है। इससे बच्चों को एक अलग तरह का बदलाव नजर आएगा। बच्चे पढ़ाई के अलावा नई-नई तरह की एक्टिविटीज सिख पाएंगे।
क्या है ‘नो स्कूल बैग डे’?
इस दिन बच्चों को बिना स्कूल बैग के स्कूल बुलाया जाएगा। पारंपरिक पढ़ाई की जगह बच्चों को अलग-अलग एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में शामिल किया जाएगा, जिससे उनका ऑल राउंड डेवलपमेंट हो सके। इन गतिविधियों में खेल, कला, संगीत, ड्रामा, कहानी लेखन, लोकगीत-नृत्य, चित्रकला, मिट्टी के खिलौने बनाना, मास्क या डॉल मेकिंग, वेस्ट मटेरियल से क्राफ्ट बनाना, बागवानी, कुम्हारी, बढ़ईगीरी, मेटल वर्क, स्थानीय कारीगरों से मुलाकात, संग्रहालय या हेरिटेज साइट्स की सैर, साइंस एक्सपेरिमेंट और जीवन कौशल (Life Skills) सिखाने वाली एक्टिविटीज शामिल हैं।
Gujarat: अहमदाबाद के स्कूलों में शनिवार को होगा ‘No Bag Day’, इस पर क्या कहना है शिक्षकों का @news24tvchannel @CMOGuj pic.twitter.com/dc7BZgBDfZ
— Deepti Sharma (@DeeptiShar24006) July 2, 2025
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इस पहल का मकसद क्या है?
बच्चों को किताबों और बस्ते के बोझ को फ्री करने, क्रिएटिविटी, टीमवर्क, लीडरशिप, बातचीत और समस्या-समाधान जैसी 21वीं सदी की स्किल्स विकसित करना है। बच्चों को स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण और भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना है। बच्चों की रुचियों और प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें आगे बढ़ाना है।
सरकार की तैयारियां और चुनौतियां क्या हैं?
गुजरात सरकार ने इस योजना के लिए हर एक छात्र के लिए मात्र 4.44 प्रति बैगलेस डे का बजट निर्धारित किया है, जिसे एजुकेसन एक्सपर्ट अपर्याप्त मान रहे हैं। शिक्षकों और स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर शनिवार के लिए एक्टिविटी कैलेंडर तैयार करें और बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करें। सरकार का दावा है कि इससे बच्चों को स्कूल से बाहर की दुनिया का अनुभव मिलेगा, जबकि आलोचकों के मुताबिक, सीमित बजट में गुणवत्ता पूर्ण गतिविधियां कराना मुश्किल होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, कक्षा 6 से 8 के छात्रों के लिए साल में कम से कम 10 ‘बैगलेस डे’ रखने की सिफारिश की गई है, जिसमें बच्चों को स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, फील्ड विजिट और स्किल-बेस्ड एक्टिविटीज कराई जानी हैं। गुजरात सरकार की यह पहल बच्चों के ऑल राउंड डेवलपमेंट की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसे सफल अमल करने के लिए पर्याप्त संसाधन और वेल प्लान्ड एक्टिविटीज की जरूरत होगी। ताकि बच्चों को वास्तव में इसका लाभ मिल सके।
बच्चों का होगा विकास
गुजरात सरकार नो स्कूल बैग डे 5 जुलाई से लागू कर सकती है। इसके लागू होने से बच्चों को काफी मदद मिलेगी। पढाई के साथ-साथ बच्चे अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज कर पाएंगे। जिससे वो पढ़ाई के साथ-साथ कुछ अलग कर पाएंगे। बच्चों को एक दिन कम से कम किताबों से छुट्टी मिलेगी। इसके लागू होने से बच्चे अपने आपको पड़ाई के साथ-साथ उन चीजों से जोड़ पाएंगे, जो अब आज के बच्चों में क्रिएटिविटी नहीं दिखती है। बच्चे जल्दी से खुद को सोशल नहीं कर पाते हैं। वो हर समय किताबों में लगे रहते हैं। तो नो बैग डे से बच्चों का तनाव कम होगा।
अगर ये सफल तरीके से लागू होता है तो नई बातें सीखने की एक अलग तरह की खुशी बच्चों में दिखने लगती है। माता-पिता को भी आराम मिलता है। इससे उनकी एक समस्या तो दूर होगी कि अब बच्चे पढ़ने के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज में शामिल होंगे।
‘बैगलेस डे’ पर क्या बोले शिक्षक
बैगलेस डे को लेकर शिक्षकों ने बताया कि ये राज्य सरकार का फैसला बच्चों के हित में है। इससे बच्चों का स्कूल आने का मन करेगा। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे नई-नई चीजें सीखने को मिलेगी। बच्चे का मनोबल बढ़ेगा।
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