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दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, डिजिटल सेवाओं तक नागरिकों का मौलिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए डिजिटल एक्सेस को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया है। इसी के साथ कोर्ट ने एसिड अटैक से पीड़ित लोगों के लिए नो योर कस्टमर प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई अहम दिशा-निर्देश जारी किए।

Author Written By: Prabhakar Kr Mishra Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Apr 30, 2025 14:39
supreme court
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सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को अपने अहम फैसले में कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि KYC जैसे डिजिटल प्रोसेस सभी को उपलब्ध हों। जो लोग विकलांगता का शिकार हैं या एसिड हमले के चलते जिनका चेहरा बिगड़ गया है, उन सबकी भी डिजिटल सेवाओं तक पहुंच होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अहम हिस्सा है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने इस विषय पर दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया।

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9 महिलाओं ने दायर की थी याचिका

दरअसल एसिड हमले के शिकार में 9 महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि कोर्ट केन्द्र सरकार को निर्देश दे कि एसिड अटैक पीड़ितों या स्थायी तौर पर आंखों में नुकसान झेलने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक डिजिटल KYC (Know Your Customer) के लिए दिशानिर्देश तय करें। कोर्ट ने इसके लिए 20 दिशानिर्देश भी तय किए हैं।

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डिजिटल सेवाओं का सामना

बता दें कि पीड़ित लोगों ने अर्जी में दलील दी है कि एसिड अटैक के बाद उनकी आंखों की पुतलियों को स्थाई रूप से नुकसान हो चुका है। जिसकी वजह से बैंक खाता खोलने, मोबाइल सिम कार्ड खरीदने जैसी स्थिति में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

First published on: Apr 30, 2025 02:29 PM

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