नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर 400 के पार गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। इसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेप 3 लागू करते हुए यहां सभी निर्माणकार्यों पर रोक लगा दी है। आयोग ने महत्वपूर्ण विभागों रेलवे स्टेशनों, मेट्रो, अस्पतालों, हवाईअड्डे आदि को इन प्रतिबंधों से बाहर रखा है।
#Breaking: दिल्ली में निर्माण कार्यों पर लगी रोक, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए लगी रोक@amitpandaynews pic.twitter.com/TyZDLPZqOw
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वर्क फ्रॉम होम की सलाह
दिल्ली में इस सीजन में वायु गुणवत्ता अपने सबसे अधिक सूचकांक पर है। आयोग ने शनिवार को ग्रेप को वर्ग दो से बढ़ाकर वर्ग तीन में कर दिया है। आयोग ने एनसीआर में लागू ग्रेप की सख्ती और बढ़ा दी है। आयोग ने अपील की है कि संभव हो तो वर्क फ्रॉम होम करें या वायु प्रदूषण ना फैलाने वाले परिवहन साधनों का उपयोग करें।
सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें
आयोग ने अपील की है कि लोग सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें या शेयर राइड का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त साइकिल का उपयोग या पैदल भी चल सकते हैं। अगर आपका कार्य प्रभावित ना हो तो आप वर्क फ्रॉम होम भी कर सकते हैं। ईधन के विकल्प के लिए लकड़ी या कोयला ना जलाएं।
हवा बेहद खराब श्रेणी में
दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा बेहद खराब श्रेणी में है। जिससे इसका असर यहां लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल सुबह तड़के सैर करने से बचें। मास्क लगाकर रखें और दिन में एक-दो बार अपने आसपास क्षेत्रों में पानी का छिड़काव करें।
नोएडा में गंभीर श्रेणी में हवा
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के आंकड़ों के मुताबिक आज दोपहर में दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में 381 थी। दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता 399 ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। जबकि मथुरा रोड पर यह 380 और आनंद विहार इलाके में यह सबसे अधिक 457 गंभीर श्रेणी में रही। जानकारी के मुताबिक गुरुग्राम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 349 श्रेणी में रहा। नोएडा में गंभीर श्रेणी में 411 दर्ज किया गया।
अगले तीन दिन हवा
हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में होने के चलते लोगों को सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन होने की शिकायत की। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार दिल्ली में स्थानीय सतही हवाएं अगले तीन दिनों के लिए 6 से 8 किमी प्रतिघंट घंटा की रफ्तार से चलेंगी। यहां अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम 14-15 डिग्री सेल्सियस है जो प्रदूषकों के कमजोर फैलाव का कारण बनती हैं।
पराली से परेशानी
एक्सपर्ट के मुताबिक दिन के दौरान मिश्रण परत की ऊंचाई 1.0-1.5 किमी रही। जो प्रदूषकों के मध्यम फैलाव करता है। इसके अलावा पराली जलाने वाले क्षेत्रों से उत्तर-पश्चिम दिशा से चलने वाली परिवहन स्तर पर तेज हवाएं प्रदूषकों को दिल्ली तक ले जाने का कारण हैं। यहां पीएम 2.5 में इसकी हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना है।
करता है।
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