संसद की स्थायी समिति ने ऑल इंडिया इंस्ट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) दिल्ली में कर्मचारियों की भारी कमी पर गंभीर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट के अनुसार, AIIMS में 430 फैकल्टी पद खाली हैं, जो कुल स्वीकृत पदों का 34.81 प्रतिशत है। अस्पताल में 2,109 गैर-फैकल्टी पद खाली हैं, जो मंजूर हुए पदों का 16.29 प्रतिशत है। इसके अलावा, सीनियर रेजिडेंट (गैर-शैक्षणिक) के 434 पद (37.48%) और जूनियर रेजिडेंट (गैर-शैक्षणिक) के 113 पद (46.89%) खाली हैं।
3 महीने के भीतर हो खाली पोस्ट पर भर्ती
समिति ने इन पोस्ट को 3 महीने के भीतर भरने की सिफारिश की है। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय से इस संबंध में एक वर्क प्लान प्रेजेंट किया है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि एम्स को ये सभी खाली पद भरने के लिए एक सुव्यवस्थित भर्ती प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इसमें टार्गेट आउटरीच और कॉम्पिटिट सैलेरी पैकेज शामिल हों, जिससे योग्य उम्मीदवारों को आकर्षित किया जा सके।
एक और एम्स की स्थापना
अस्पताल में कर्मचारियों की इस कमी के कारण मरीजों, विषेश गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को इलाज में देरी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही समिति ने सुझाव दिया है कि दिल्ली के निकट एक और एम्स की स्थापना की जाए, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी और मौजूदा एम्स पर बोझ कम होगा।
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प्रभावित हो रहे विकास कार्य
एम्स के मास्टर प्लान में भूमि अधिग्रहण और बजट स्वीकृति में देरी जैसी बाधाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 के बजट का जनवरी के अंत तक केवल 81.96 प्रतिशत ही उपयोग किया गया है, जो चिंता का विषय है।
समिति ने एम्स प्रशासन से निर्माण परियोजनाओं की धीमी प्रगति की व्यापक समीक्षा करने और बजट के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने की सिफारिश की है, ताकि संस्थान की कार्यक्षमता और मरीजों को मिलने वाली सेवाओं में सुधार हो सके।