MP Raghav Chadha: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने एनडीएमसी के प्रॉपर्टी टैक्स में संशोधन, सरकारी आवासों में सर्वेंट क्वार्टर्स के दुरुपयोग को रोकने और बंगाली मार्केट में निर्माण की असमानताओं को दूर करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार संसद में वित्त विधेयक लाकर एनडीएमसी में यूनिट एरिया मेथड लागू करे, ताकि टैक्स सिस्टम सरल और पारदर्शी हो सके। सरकारी आवासों में कई सर्वेंट क्वार्टरों को किराए पर दिया जा रहा है या व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह अवैध है और इसकी जांच की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई सरकारी आवास को किराए पर न दे सके। बंगाली मार्केट को एलबीजेड के प्रतिबंधों से बाहर किया जाए। साथ ही भूतल समेत तीन मंजिला बिल्डिंगें बनाने और परिसरों में लिफ्ट की अनुमति दी अनुमति दी जाए। इससे यहां लोगों के बीच फैली असमानताएं दूर हो सकेंगी।
राघव चड्ढा ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि एनडीएमसी में संपत्ति कर आकलन के लिए यूनिट एरिया मेथड लागू करने के लिए कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनडीएमसी ने पुराने रेंटेबल वैल्यू सिस्टम को फिर से लागू कर दिया, जिससे भ्रम और राजस्व हानि हो रही है। 2009 में एनडीएमसी ने यूएएम पद्धति लागू की, जिसमें संपत्ति कर की गणना तयशुदा प्रति वर्ग फुट यूनिट एरिया मूल्य, संपत्ति के क्षेत्रफल और एक निर्धारित घटाव कारक के आधार पर की जाती थी।
टैक्स कलेक्शन में सुधार जरूरी
यह पुरानी रेंटेबल वैल्यू प्रणाली की जगह लाई गई थी, जिसमें कर का निर्धारण अनुमानित वार्षिक किराए पर किया जाता था। यूएएम को संपत्ति कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए लागू किया गया था। अब इसे फिर से लागू करने के लिए कानूनी कदम उठाना जरूरी है, ताकि टैक्स कलेक्शन में सुधार हो और लोगों को अस्पष्ट नियमों से राहत मिले। हालांकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि एनडीएमसी को केवल उप-नियम बदलकर यूएएम लागू करने का कानूनी अधिकार नहीं है।
क्योंकि यूएएम अधिनियम, 1994 की धारा 63(1) के तहत कर प्रणाली निर्धारित की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यूएएम पद्धति को गलत नहीं ठहराया, लेकिन कहा कि कर प्रणाली में कोई भी बदलाव केवल एनडीएमसी अधिनियम में संशोधन करके ही किया जा सकता है। इस संशोधन के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी। दिल्ली के 90 फीसद हिस्सों में पहले ही यूएएम लागू हो चुका है, लेकिन एनडीएमसी क्षेत्रों में इसकी कानूनी मंजूरी में देरी होना चिंता का विषय है। इसे जल्द लागू करना जरूरी है।
सांसद ने कीं ये मांगें
- एनडीएमसी अधिनियम, 1994 में संशोधन करें और संसद में एक वित्तीय विधेयक लाकर संपत्ति कर आकलन के लिए यूएएम को कानूनी रूप से मान्यता दें।
- विधायी प्रक्रिया को तेज करें, ताकि राजस्व संग्रह में कोई और बाधा न आए।
- सरल और स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करें तथा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान चलाएं, जिससे यह प्रक्रिया आसानी से लागू हो सके।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के छह साल बाद भी हो रही यह देरी तुरंत संसदीय कार्रवाई की मांग करती है।
एनडीएमसी को बाकी दिल्ली के साथ यूएएम के तहत लाने से समानता, सरलता और राजस्व वृद्धि सुनिश्चित होगी। आशा है कि आप इस मामले को प्राथमिकता देंगे और एनडीएमसी अधिनियम में संशोधन के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे, जिससे करदाताओं और एनडीएमसी दोनों को लाभ होगा। चड्ढा ने केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्री को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार की तरफ से विभिन्न पदाधिकारियों जैसे न्यायाधीशों, मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य गणमान्यों को आवास के साथ ही उनके सहायकों के लिए भी सर्वेट क्वार्टर्स आवंटित किए जाते हैं।
सरकार का सर्वेट क्वार्टरों को आवंटित करने का उद्देश्य अफसरों और नेताओं के घरेलू स्टाफ के लिए आवास उपलब्ध कराना है, लेकिन कई जगह इनका गंभीर तरीके से दुरुपयोग किया जा रहा है। कुछ नेता और अधिकारी घरेलू स्टाफ के लिए मिले इन क्वार्टरों को अवैध रूप से किराए पर दे रहे हैं, जो उनके घरेलू स्टाफ का हिस्सा नहीं है और इसके बदले उनसे किराया भी वसूला जाता है। यह इन क्वार्टरों के वास्तविक उद्देश्य का उल्लंघन है और घरेलू कर्मचारियों के साथ अन्याय भी है।
क्वार्टरों के बदले नहीं दे रहे वेतन
कई मामलों में यह भी सामने आया है कि कुछ नेता और वरिष्ठ अफसर अपने घरेलू स्टाफ को सर्वेंट क्वार्टर तो रहने के लिए दे रहे हैं, लेकिन बदले में वे उन्हें कोई वेतन नहीं दे रहे हैं और किराए के बदले उनके वेतन से कटौती कर रहे हैं। इससे उन्हें अपने कानूनी रूप से अपने निर्धारित मेहनताने से वंचित रहना पड़ता है।
इस तरह की मनमानियों से घरेलू कर्मचारियों के अधिकारों का शोषण हो रहा है और उन्हें आर्थिक और भावनात्मक मुश्किलों का सामना करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। नेताओं और अफसरों के मुख्य बंगलों के सामने बने सर्वेंट क्वार्टरों का उद्देश्य घरेलू स्टाफ की कार्य स्थिति को बेहतर बनाना था, न कि सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग या श्रमिकों के शोषण को बढ़ावा देना। इन समस्याओं के जल्द से जल्द निवारण के लिए उन्होंने कुछ मांगें की हैं।
- सर्वेंट क्वार्टरों के अवैध किराए पर देने पर रोक लगाने के नियमों को सख्ती से लागू करवाया जाए और नियमों का पालन न करने वालों पर दंड का प्रावधान किया जाए।
- सरकारी बंगलों का नियमित ऑडिट और निरीक्षण किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सर्वेंट क्वार्टरों का इस्तेमाल घरेलू स्टाफ द्वारा ही किया जा रहा है।
- सर्वेंट क्वार्टरों में रहने वाले सभी घरेलू कर्मचारियों के लिए एक उचित वेतन नीति लागू की जाए, जिससे आवास के अलावा उन्हें उचित वेतन भी मिले।
- सभी घरेलू कर्मचारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाए, ताकि वे शोषण या वेतन न मिलने पर समय पर शिकायत कर सकें।