Jamia Violence Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2019 में हुए जामिया हिंसा मामले में शर्जिल इमाम और 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। पुलिस ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। निचली अदालत ने शर्जिल और अन्य को आरोप मुक्त कर दिया था।
Delhi High Court reserves order for the appeal challenging the discharge of Sharjeel Imam and 10 other accused in the Jamia violence case of 2019. pic.twitter.com/WEWCUMhYQW
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 23, 2023
चक्का जाम विरोध का हिंसक तरीका नहीं
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शर्जिल इमाम ने 16 फरवरी को हाईकोर्ट में दलील रखी थी कि उन्होंने केवल शांतिपूर्ण तरीके से अभियान चलाया था। चक्का जाम को विरोध का हिंसक तरीका नहीं कहा जा सकता है। इमाम ने अपना यह जवाब दिल्ली पुलिस की तरफ दाखिल याचिका के विरोध दिया था।
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साकेत कोर्ट ने कर दिया था आरोप मुक्त
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शर्जिल इमाम, आसिफ इकबाल तनहा, सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर समेत 11 आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पुलिस को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ थी, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।
2019 में हुई थी सीएए के विरोध में हिंसा
दरअसल, दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया नगर इलाके में संशोधित नगारिकता कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान पुलिस से झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था। पुलिस ने शर्जिल इमाम समेत अन्य को आरोपी बनाया था।
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