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दिल्ली के 32 छात्र स्कूल से क्यों निकाले गए, DPS का विवाद पहुंचा हाई कोर्ट, जानें क्या है मामला?

Delhi High Court: दिल्ली पब्लिक स्कूल का छात्रों को निकाले जाने का विवादा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। बच्चों के अभिभावकों ने याचिका दायर करके बच्चों को वापस स्कूल में लेने और पढ़ाई का एक साल खराब होने से बचाने की गुहार लगाई है।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: May 15, 2025 13:54
Delhi High Court | Delhi Public School
दिल्ली पब्लिक स्कूल का छात्रों को निकाले जाने का विवाद दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है।

दिल्ली में द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने फीस वृद्धि विवाद के चलते 32 छात्रों को स्कूल से निकाल दिया। स्कूल से निष्कासित 32 छात्रों के अभिभावकों ने अब अपने बच्चों की स्कूल में वापसी के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि स्कूल ने शिक्षा निदेशालय (DOI) को लिखित नोटिसों और शिकायतों को बार-बार नजरअंदाज किया। फीस के लिए जमा किए गए चेक को जानबूझकर डेबिट करने से परहेज किया।

अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने बिना किसी पूर्व सूचना या उचित कारण के 32 नाबालिग छात्रों को मनमाने ढंग से जबरदस्ती स्कूल से निकाल दिया, जो न्यायालय के आदेश और न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। इनमें से कई छात्र वर्तमान में 10वीं कक्षा में हैं, जिन्होंने 9वीं कक्षा में रहते हुए बोर्ड एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है।

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याचिका में लगाए गए गंभीर आरोप

अभिभावकों ने आरोप लगाया कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। बाउंसरों ने उन्हें धमकाया। 2 घंटे तक बस में बिठाए रखा और फिर अंत में घर पर छोड़ दिया। 14 मई 2025 को महिला बाउंसरों और पुरुष बाउंसर स्कूल में तैनात किए गए। यह चौंकाने वाली बात है कि न तो पुलिस अधिकारी और न ही प्रशासन का कोई अन्य व्यक्ति मदद करने को तैयार है, क्योंकि उनका कहना है कि मामला विचाराधीन है।

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अभिभावकों ने 18 जुलाई 2024 को जारी हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के निर्देश के खिलाफ स्कूल की चुनौती के जवाब में अपनी याचिका दायर की थी। आयोग ने छात्रों के निष्कासन, स्कूल की वेबसाइट पर उनके नामों को सार्वजनिक करने और एक छात्रा को मासिक धर्म के दौरान सहायता उपलब्ध नहीं कराने की घटना का हवाला देते हुए पुलिस को स्कूल के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 जुलाई को इस आदेश पर रोक लगा दी थी।

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हाई कोर्ट ने की थी स्कूल की निंदा

पिछले महीने, दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करने और बकाया फीस के कारण उन्हें क्लास में बैठने से रोकने के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल की कड़ी आलोचना की थी। न्यायालय ने स्कूल की हरकतों की निंदा करते हुए कहा था कि यह घिनौना और अमानवीय है। यह शैक्षणिक संस्थान से ज्यादा पैसा कमाने वाली मशीन की तरह काम करता है। छात्रों के साथ किए जाने वाले व्यवहार को यातना का एक रूप बताते हुए न्यायाधीश ने संकेत दिया था कि स्कूल केप्रिंसिपल पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।

First published on: May 15, 2025 01:47 PM

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