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दिल्ली

‘पटाखों से नहीं होता प्रदूषण’, सुप्रीम कोर्ट में बोला ‘IIT इंजीनियर’, इस तरह भड़क गए जज

पटाखों पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से नगण्य प्रदूषण होता है, तब तक बैन के पुराने आदेश में बदलाव का कोई औचित्य नजर नहीं आता। इस दौरान एक शख्स ने कोर्ट में अपनी बात रखने की इजाजत मांगी। जिसकी बातें सुनकर कोर्ट ने फटकार लगा दी।

Author Written By: Prabhakar Kr Mishra Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Apr 3, 2025 17:35
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली/NCR में पटाखा बैन मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली/NCR में फायर क्रैकर पर बैन जारी रहेगा। इसके साथ ही NCR राज्यों को निर्देश दिया कि राज्य सरकारें फायर क्रैकर बैन को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। राज्य सरकारें ऐसी मशीनरी बनाएं जो बैन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करें। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में एक दिलचस्प घटना भी हुई।

पटाखा बैन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस मामले में एक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप में पेश हुआ और कहा कि मुझे भी अपनी बात रखनी है। कोर्ट ने उन्हें इजाजत दे दी। उन्होंने पटाखों पर पाबंदी का विरोध करते हुए कहा कि पटाखों पर पाबंदी का फैसला उचित नहीं है। पटाखे तो वायुमंडल को शुद्ध करते हैं। उन्होंने दलील दी कि पटाखों पर बैन अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा है।

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कोर्ट में पेश हुआ शख्स, भड़के जज

इस पर जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका ने पूछा कि क्या आप विशेषज्ञ हैं? व्यक्ति ने इस पर जवाब दिया कि हां, मैं IIT से पढ़ा हुआ इंजीनियर हूं। मुकेश जैन नाम के इस व्यक्ति ने मशहूर पर्यावरणविद् एम. सी. मेहता पर भी गंभीर आरोप लगाए। उसने आरोप लगाया कि एम. सी. मेहता देश विरोधी संस्थाओं से फंड लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस व्यक्ति को यह नहीं पता कि एम. सी. मेहता कौन हैं और उन्होंने पर्यावरण के लिए कितना किया है!

कोर्ट ने कहा कि हम मुकेश जैन पर जुर्माना लगा सकते थे, लेकिन इस बार चेतावनी देकर छोड़ रहे हैं। बता दें कि मुकेश जैन विवादास्पद ओम बाबा का सहयोगी रह चुका है और सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस पर जुर्माना लगा चुका है।

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यह भी पढ़ें : रेप मामले में फैसला देकर आए विवादों में, सुप्रीम कोर्ट से लगी फटकार; कौन हैं जस्टिस राम मनोहर मिश्र?

पटाखों के बैन पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

वहीं, पटाखों पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से नगण्य प्रदूषण होता है, तब तक बैन के पुराने आदेश में बदलाव का कोई औचित्य नजर नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है। लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो पटाखों पर बैन का फैसला लिया था, वह भी दिल्ली-NCR में प्रदूषण के बेहद खतरनाक स्तर को देखते हुए लिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि आम आदमी पर इसका क्या असर होता होगा, वह समझा जा सकता है, क्योंकि हर कोई एयर प्यूरिफायर नहीं खरीद सकता। एक बड़ा तबका, जो सड़कों पर या गलियों में काम करता है, प्रदूषण का सबसे अधिक शिकार होता है।

First published on: Apr 03, 2025 04:47 PM

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