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दिल्ली सरकार की नीति पर LG ने लगाई मुहर; App आधारित टैक्सी और डिलीवरी के लिए बनेगा कायदा

Delhi App based Taxi Service: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने ऐप आधारित मोटर व्हीकल पॉलिसी लागू करने की योजना को मंजूरी दे दी है। इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे मंजूरी दी थी।

Edited By : Sumit Kumar | Updated: Nov 29, 2023 18:31
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Delhi App based Taxi Service

Delhi App based Taxi Service: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक मोटर वाहन नीति लागू करने की प्रस्तावित योजना को अपनी मंजूरी दे दी, जो उबर और ओला जैसे कैब एग्रीगेटर्स के साथ जोमैटो और स्विगी द्वारा फूड डिलीवरी सर्विसेज को विनियमित करेगी। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि नीति आज शाम को अधिसूचित की जाएगी। इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे मंजूरी दे दी थी।

इस नीति के तहत राजधानी दिल्ली में ऐप-आधारित कैब के रूप में केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2030 की समय सीमा शामिल है। नीति में बाइक टैक्सियों के संचालन का प्रावधान है, बशर्ते वे इलेक्ट्रिक हों। यह नीति 25 से अधिक वाहनों के बेड़े वाले सेवा प्रदाताओं पर लागू होगी।

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ड्राफ्ट  पॉलिसी में कई आवश्यकताओं को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें कैब एग्रीगेटर्स को पूरा करना होगा। इनमें किसी भी घटना की स्थिति में अधिकारियों के साथ सहयोग करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि उसके ड्राइवर भागीदारों के पास सभी आवश्यक दस्तावेज हों। प्रस्ताव में किराये और ड्राइवर पार्टनर को उसके हिस्से के मामले में “पारदर्शिता” की भी बात कही गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐप यात्रियों को अपना लाइव लोकेशन साझा करने का विकल्प देना चाहिए, जो उबर और ओला पहले से ही प्रदान करते हैं।

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यह पॉलिसी नशीली दवाओं या शराब के उपयोग करने की अनुमति नहीं देती है। इसका उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई पर जोर देती है। हालांकि, प्रस्ताव में सर्ज प्राइसिंग पर कोई प्रतिक्रिया निर्दिष्ट नहीं की गई है, लेकिन कहा गया है कि किराया “ऑन-डिमांड सेवा गतिशीलता प्रदान करने के लिए परिवहन विभाग, जीएनसीटीडी के आदेशों का पालन करेगा।”

नियमों का उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्माना

अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों को भी ड्राफ्ट पॉलिसी का पालन करना होगा। प्रस्ताव में प्रत्येक प्रकार के उल्लंघन के लिए दंड का भी प्रावधान किया गया है। वैध लाइसेंस के बिना वाहन चलाने पर ₹ 25,000 से ₹ 1 लाख तक का जुर्माना लग सकता है। इसके साथ ही प्रस्ताव में इसका भी जिक्र किया गया है कि अगर सेवा प्रदाता निर्धारित समय के भीतर ड्राइवर या वाहन के खिलाफ शिकायतों का जवाब देने में विफल रहते हैं तो जुर्माना भी लागू होता है। प्रस्ताव में सभी कैब एग्रीगेटर्स और सेवा प्रदाताओं को इस नीति के अधिसूचित होने के 90 दिनों के भीतर लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।

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Written By

Sumit Kumar

First published on: Nov 29, 2023 05:54 PM

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