Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट में चीनी एआई प्लेटफॉर्म डीपसीक पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि अगर चीनी एआई प्लेटफॉर्म से खतरा है तो यूजर्स के पास इसका उपयोग करने से परहेज करने का विकल्प है। अगर यह इतना ज्यादा हानिकारक है तो कोई इसे यूज करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आधार पर तत्काल सुनवाई करने की मांग जरूरी नहीं है।
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12 फरवरी को मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से निर्देश लेने को कहा था। 20 फरवरी को निर्देश फिर सूचीबद्ध किए गए, लेकिन समय की कमी के कारण इनको नहीं लिया जा सका। अब मामले में सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख निर्धारित की गई है। इससे पहले न्यायालय ने वकील की ओर से पेश किए सबमिशन को स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने कहा कि मामले में सावधानी से विचार करने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है, चाहे वह अमेरिकी हो या चीनी।
Delhi HC refuses urgent hearing on PIL to ban DeepSeek, cites no compulsion to use platform
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— ANI Digital (@ani_digital) February 25, 2025
कई देशों में बैन होने का दावा
दिल्ली उच्च न्यायालय में यह याचिका ‘डीपसीक’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चैटबॉट तक पहुंचने से रोकने के उद्देश्य से दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि इसके लॉन्च होने के एक महीने के भीतर डीपसीक में कई खामियां मिली हैं। इससे ऑनलाइन संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा के 10 लाख से अधिक मामले लीक हुए हैं। याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि चीनी संस्थाओं द्वारा विकसित डीपसीक गैरकानूनी कार्यों में प्रयोग किया जा रहा है।
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एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट भावना शर्मा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि कई देशों ने डीपसीक की गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंता जताई है। इटली के डेटा संरक्षण प्राधिकरण ‘गारंटे’ ने गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए डीपसीक पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भी सुरक्षा जोखिमों के कारण ऐसा किया है। आयरलैंड, बेल्जियम, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, यूएसए और फ्रांस में डेटा नियामक डीपसीक के संचालन की जांच कर रहे हैं।