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नाबालिग से रेप, बाद में रचा ली शादी; मुजरिम है या नहीं? पढ़ें हाई कोर्ट का फैसला

Delhi High Court refuse to quash FIR of minor rape : दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बलात्कार के केस में सजा काट रहे आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि याचिका में बलात्कार के बाद हुई शादी को आधार बनाते हुए कार्यवाही बंद करने की मांग की गई थी।

Edited By : Pratyaksh Mishra | Updated: Nov 11, 2023 01:02
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Delhi High Court refuse to quash FIR of minor rape : दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नाबालिग से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बंद करने से इन्कार कर दिया है। बता दें कि युवक ने जब लड़की के साथ बलात्कार किया तो वह नाबालिग थी, हालांकि उसके बाद दोनों ने शादी रचा ली। अब इसको आधार बनाते हुए युवक ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बलात्कार के बाद हुई शादी, एफआईआर को रद्द करने का कोई कारण नहीं हो सकती।

आरोप गम्भीर

जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बलात्कार के अपराध को पक्षों के बीच समझौते के आधार पर समझौता या रद्द नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा, प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के थे। वर्तमान एफआईआर आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराधों से संबंधित हैं। POCSO अधिनियम की धारा 6 जो गंभीर प्रकृति की है, यह एक हालिया आदेश में कहा गया है।

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पीड़िता ने हाई कोर्ट को बताया कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपने विवाद सुलझा लिए हैं और अपनी मर्जी से उससे शादी की है। राज्य ने एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली आरोपी की याचिका का विरोध किया और कहा कि अपराध गैर-समझौते योग्य और गंभीर हैं। समझौता-योग्य अपराध वे होते हैं, जिनमें प्रतिद्वंद्वी पक्ष समझौता कर सकते हैं।

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खारिज की गई आरोपी की याचिका

शीर्ष अदालत के इस फैसले के मद्देनजर कि ऐसे अपराध समाज के खिलाफ हैं और समझौता होने पर इन्हें रद्द नहीं किया जा सकता, अदालत ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी।अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि सभी तथ्यों और आरोपों की गंभीरता पर विचार करने के बाद, वर्तमान याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और न्यायिक कार्यवाही सहित परिणामी कार्यवाही के साथ पी.एस. बाबा हरिदास नगर में धारा 376 आईपीसी और धारा 6 POCSO अधिनियम के तहत एफआईआर संख्या 0360/2020 दर्ज नहीं की जा सकती है … इसलिए इसे रद्द किया जाए। अदालत ने वर्तमान याचिका को खारिज करने का आदेश दिया है।

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Pratyaksh Mishra

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Pratyaksh Mishra

First published on: Nov 10, 2023 10:29 PM

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