No action take against 100 year old Mosques and Cemeteries: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला जारी करते हुए अधिकारियों को राजधानी दिल्ली के धौला कुआं में 100 साल से अधिक पुरानी शाही मस्जिद, एक कब्रिस्तान और एक स्कूल के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड से जवाब तलब किया गया
इस मामले को लेकर न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने नोटिस जारी करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया। जारी आदेश में मस्जिद, ‘मदरसा’ और एक सार्वजनिक कब्रिस्तान को ढहाये जाने की आशंका वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार की धार्मिक समिति (गृह), केंद्र, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली छावनी क्षेत्र के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट और दिल्ली वक्फ बोर्ड से जवाब तलब किया है।
चार सप्ताह के भीतर दें जवाब
इस दौरान जस्टिस जालान से सभी अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि अधिकारी चार सप्ताह के भीतर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करेंगे। इसके साथ ही अदालत ने मामले को 31 जनवरी, 2024 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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संरचनाएं 100 वर्ष से अधिक पुरानी
जस्टिस जालान ने कहा, ‘इस बीच, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संरचनाएं 100 वर्ष से अधिक पुरानी हैं, प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख यानी 31 जनवरी तक संरचनाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए निर्देश दिया जाता है’।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट धौला कुआं इलाके में स्थित बाग मोची और किचनर झील के पास स्थित शाही मस्जिद और कब्रिस्तान कंगाल शाह की प्रबंध समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता प्रबंध समिति ने अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से, 20 अक्टूबर को आयोजित शहर सरकार की धार्मिक समिति की बैठक के अनुसार अपनी मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की आशंका में याचिका दायर की थी।