Delhi Crime News: दिल्ली की दक्षिण पश्चिम जिले की साइबर पुलिस ने ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम जॉब फ्रॉड सिंडिकेट का भंड़ाफोड़ किया है। इस गैंग के 4 लोग अरेस्ट किए गए हैं। ये आरोपी लोगों को पार्ट-टाइम ऑनलाइन नौकरियों का लालच देकर ठगते थे और फिर धोखाधड़ी से कमाए गए पैसों को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ठिकाने लगाते थे। ताकि बैंकिंग सिस्टम और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गुमराह कर अपना काम किया जा सके। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से चार मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।
शिकायतकर्ता से लाखों रुपये ऐंठे
यह मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता ने बताया कि 23 मई को एक टेलीग्राम आईडी के कांटेक्ट में आया, जिसने उसे वेबसाइटों की रिव्यू के लिए पर रिव्यू 50 रुपये का इनाम देने की पेशकश की। कुछ आसान काम पूरे करने और मामूली भुगतान लेने के बाद धोखेबाजों ने उसे बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के “प्री-पेड टास्क” में शामिल होने के लिए कहा है।
पीड़ित ने शुरुआत में लगाया पैसा
पीड़ित ने शुरुआत में इन कामों में पैसा लगाया, लेकिन बाद में उसे इस तरह से फंसाया गया कि धोखेबाज उससे लगातार अलग-अलग बहानों से पैसा जमा कराते रहे। इस पूरे मामले में पूरे 17.49 लाख रुपये पीड़ित ने गंवा दिए।
पुलिस ने की गंभीरता से जांच
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी/ऑप्स विजय कुमार के ओवरऑल सुपरविजन और एसएचओ/पीएस साइबर/एसडब्ल्यूडी इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया, जिसमें एचसी अशोक, एचसी जयप्रकाश, एसआई ओपेंद्र, डब्ल्यू/एसआई प्रियंका, एचसी बाबूलाल और सीटी जीतराम शामिल थे।
जांच में पुलिस ने किया खुलासा
इस जांच के दौरान पैसे के लेन-देन का विश्लेषण किया गया और पता चला कि ठगी के 5,00,000 रुपये शिकायतकर्ता के बैंक खाते से डेबिट होकर कोटक महिंद्रा बैंक में जमा किए गए थे। यह कोटक महिंद्रा बैंक खाता अंकुर मिश्रा के नाम पर रजिस्टर्ड पाया गया। बैंक के सीसीटीवी फुटेज में उसे चेक के जरिए पैसे निकालते हुए 2 अन्य आरोपियों के साथ देखा गया। एक अन्य खाते के विवरण के विश्लेषण से पता चला कि उक्त खाता आगरा से संचालित हो रहा था। हालांकि खाताधारक मध्य प्रदेश के थे। तकनीकी विश्लेषण के आधार पर यह खुलासा हुआ कि यह गिरोह लखनऊ, शिवपुरी, आगरा आदि जगहों से एक साथ काम कर रहा था।
ऐसे करते थे आरोपी ठगी
इसके बाद, लखनऊ, भोपाल, शिवपुरी (MP) और आगरा (यूपी) समेत अलग-अलग जगहों पर कई छापे मारे गए। आरोपी टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तमाल कर एक राष्ट्रव्यापी धोखाधड़ी योजना चलाते थे। वो लोग पीड़ितों को ऑनलाइन वर्क-फ्रॉम-होम नौकरियों के जरिए आसान कमाई का लालच देते थे। शुरू में, पीड़ितों को वेबसाइटों की समीक्षा जैसे साधारण कामों के लिए छोटी रकम का भुगतान किया जाता था, जिससे उन पर भरोसा पैदा हो सके। एक बार विश्वास बना लेने के बाद, उन्हें बिटकॉइन की खरीद और बिक्री से जुड़े “प्री-पेड टास्क” में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता था। फिर धोखेबाज पीड़ितों से लगातार अलग-अलग बहानों से अतिरिक्त भुगतान की मांग करते रहते थे। यह दावा करते हुए कि ये जमा उनकी कथित “कमाई” को भुनाने के लिए जरूरी थे।
साइबर ठगी से कैसे करें बचाव
- सबसे पहले नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कॉल करें।
- साइबर धोखाधड़ी से जुड़े सबूत जमा करके पुलिस को दें।
- ठगी होने के बाद 1-2 घंटे के अंदर ही पुलिस को सूचना दें।
- आप ठगी की शिकायत साइबर वेबसाइट पर भी दर्ज कर सकते हैं।
- ऐसे समय में किसी अजनबी कॉल को कट कर दें, घबराएं नहीं।