Muslim Vote Bank King Maker Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कल 5 फरवरी को वोटिंग होगी। आम आदमी पार्टी तीसरी बार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं। भाजपा ने भी इस बार चुनाव जीतने के लिए कमर कसी हुई है। वहीं कांग्रेस फिर से दिल्ली में अपने पांव जमाने के लिए प्रयासरत है। दिल्ली में करीब 12.9% मुस्लिम मतदाता हैं, जो चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर-पश्चिम दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, पश्चिम दिल्ली में बसे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में यह वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता आया है और निभा सकता है, लेकिन पॉलिटिकल लेवल पर यह कम्युनिटी हाशिए पर है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इस बार कांग्रेस दिल्ली में मुस्लिम वोट वापस पा सकेगी या आम आदमी पार्टी अपनी जमीन बचा पाएगी? क्या मुस्लिम समुदाय एक बार फिर सत्तारूढ़ दल में विश्वास जताएगा?
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सबसे ज्यादा मुस्लिम ओखला में बसे
आंकड़ों की बात करें तो ओखला में करीब 50% मुस्लिम रहते हैं और यहां से हमेशा इनके वोट पाने वाली पार्टी ही चुनाव जीतती आई है। ओखला विधानसभा क्षेत्र में शाहीन बाग, जसोला, तैमूर नगर, मदनपुर खादर गांव आते हैं। कांग्रेस ने 1998 से 2008 तक इस सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवेज हाशमी 2013 तक लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे। इसके बाद वे आम आदमी पार्टी के आसिफ मोहम्मद खान से चुनाव हार गए।
साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान इस सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। अमानतुल्लाह खान अब भ्रष्टाचार के कई मामलों में फंसे हैं और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। ऐसे में इस सीट पर AAP की छवि खराब हो गई है, जिसका फायदा भाजपा और कांग्रेस को हो सकता है।
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AIMIM मुस्लिमों को साध पाएगी?
ओखला से कांग्रेस ने आसिफ मोहम्मद खान की बेटी अरीबा खान को चुनावी रण में उतारा है। वह दिल्ली नगर निगम में पार्षद भी हैं। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा AIMIM भी इस बार ओखला से चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी कार्यकर्ता शिफा उर रहमान को चुनावी मैदान में उतारा है। 2020 के दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए जेल में बंद शिफा उर रहमान की पत्नी नूरीन फातिमा उनके लिए प्रचार कर रही हैं।
एक और मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र मुस्तफाबाद है, जिसने 2020 में CAA के विरोध में प्रदर्शन, दंगे, मौत, बर्बरता और आगजनी देखी। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने ताहिर हुसैन को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है, जो AAP छोड़कर आए थे। AAP ने साल 2020 में दिल्ली दंगों में शामिल होने का आरोप लगने के बाद उनका समर्थन नहीं किया था। कांग्रेस को कई मुसलमान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने वाली पार्टी मानते हैं। ऐसे में मुस्लिम असदुद्दीन की पार्टी को मौका दे सकते हैं।
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कांग्रेस या AAP मुस्लिम वोट बैंक किसका?
आम आदमी पार्टी ने 2 बार के कार्यकाल में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों में गहरी पैठ बना ली है। आर्थिक तंगी के कारण गरीबी झेल रहे लोगों के बीच अपनी मुफ्त की राजनीति के लिए आधार बना लिया है, इसलिए इस पार्टी ने मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा जीत लिया है। हालांकि पार्टी CAA के खिलाफ शाहीन बाग में हुए धरने के दौरान चुप रही और 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान या उसके बाद भी वह मुस्लिमों के पक्ष में नहीं आई।
इसलिए मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा इस पार्टी का समर्थन नहीं कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस भी सरकार बनाने लायक सीटें जीतने वाली पार्टी के रूप में उभरने में विफल रही है, इसलिए मुसलमानों के पास आम आदमी पार्टी के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि वे किसी भी कीमत पर भाजपा को सत्ता से बाहर रखना चाहते हैं।
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