Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली की सत्ता पर लगातार 10 साल तक कब्जा बरकरार रखने के बाद अरविंद केजरीवाल को जनता ने बेदखल कर दिया है। बीते दो कार्यकाल के दौरान केजरीवाल ने खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया था लेकिन, इस बार उनकी यह छवि पार्टी को जीत नहीं दिला पाई। अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने राजनीति में एंट्री के साथ ही 2013 में कांग्रेस की मदद से दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद 2015 में ऐतिहासिक 67 सीटें और 2020 में 62 सीटें जीतकर एक मजबूत पार्टी के रूप में अपना जलवा कायम रखा। भाजपा ने 26 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) ने 22 सीटें जीतीं।
10 फीसदी वोट के इधर-उधर होने से पलटी बाजी
2025 के चुनाव परिणाम के बाद आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े गढ़ दिल्ली में इसकी जड़ें जरूर हिल गईं लेकिन, जमीन बची हुई है। चुनाव नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली में सिर्फ 10 फीसदी वोट के इधर-उधर होने से बाजी पलट गई। चुनावी हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए एकमात्र खुशी की वजह यह हो सकती है कि भाजपा के मुकाबले उसका वोट शेयर ज्यादा कम नहीं है। दोनों पार्टियों के वोट शेयर की बात करें तो भाजपा को 47.15 फीसदी वोट मिले। वहीं, आम आदमी पार्टी 43.57 फीसदी वोटर्स की पसंद रही। भाजपा और आप के बीच करीब 4 फीसदी वोटों का ही अंतर है।
यहां देखें 2013 से लेकर 2025 तक भाजपा और AAP का वोट शेयर:-
साल | वोट शेयर भाजपा+ | वोट शेयर आप | भाजपा की सीट | आप की सीट |
2025 | 47.15 | 43.57 | 48 | 22 |
2020 | 38.51 | 53.57 | 08 | 62 |
2015 | 32.19 | 54.34 | 03 | 67 |
2013 | 33.07 | 29.49 | 31 | 28 |
भाजपा को करीब 9 फीसदी वोट ज्यादा मिले
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करीब 54 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भाजपा करीब 38 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई थी। इस बार AAP को करीब 10 फीसदी वोट शेयर का नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, भाजपा को करीब नौ फीसदी वोट का फायदा हुआ। भाजपा को AAP से सिर्फ 3.6 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। इससे भाजपा को 40 सीटों का फायदा हुआ है। पिछले चुनाव में भाजपा की 8 सीटें थीं।
भाजपा की स्ट्राइक रेट 71 फीसदी
इस बार भाजपा की 71 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा और 48 सीटें जीतीं। वहीं, AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31 फीसदी रहा। भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में करीब 9 फीसदी का इजाफा किया है। वहीं, AAP को 10 फीसदी का नुकसान हुआ है। वहीं, कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर दो फीसदी बढ़ाने में कामयाब रही। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 4.26 फीसदी वोट मिले थे जबकि इस बार उसे 6.34 फीसदी वोट मिले हैं।
14 सीटों पर कांग्रेस ने बिगाड़ा आप का खेल
कांग्रेस इस बार भी खाली हाथ रह गई। लेकिन, 14 सीटों पर AAP का खेल बिगाड़ दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम है। यानी अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 36 हो सकती थीं और BJP 34 सीटों पर सिमट सकती थी। क्योंकि, 14 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार को जितने वोट मिले उससे कम वोट से आप उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि दिल्ली में बहुमत के लिए 36 सीटें ही चाहिए। दिल्ली में परंपरागत तौर पर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं। यहां कांग्रेस को एंटी-भाजपा वोट मिलता रहा, लेकिन 2013 में AAP की एंट्री हुई और कांग्रेस के एंटी-भाजपा वोट पर उसने कब्जा कर लिया।
दिल्ली चुनाव परिणाम के अहम फैक्ट्स
- 2020 में भाजपा ने महज 8 सीटें जीती थीं। 2025 में 6 गुना ज्यादा यानी 48 से ज्यादा सीटों पर जीतीं।
- केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 20 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
- कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। बादली से देवेंद्र यादव 41071 वोट के साथ पहले जबकि कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त 27019 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इनके अलावा नांगलोई से रोहित चौधरी 32,028 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
- भाजपा के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव जीत गए हैं। नई दिल्ली से परवेश वर्मा और मोतीनगर से हरीश खुराना ने जीत दर्ज की। प्रवेश पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। हरीश खुराना पूर्व सीएम मदन लाल खुराना के बेटे हैं।
NOTA को मिले इतने वोट
मायावती की पार्टी BSP को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 55,066 वोट मिले हैं और पार्टी का वोट शेयर 0.58 फीसदी हैं। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 73,032 वोट मिले हैं। ओवैसी की पार्टी का वोट शेयर 0.77 फीसदी है। कई पार्टियों से ज्यादा इस बार अकेले NOTA को वोट मिले हैं। NOTA को 53,738 वोट मिले हैं और वोट शेयर 0.57 प्रतिशत है। नोटा का वोट शेयर CPI, CPIM और NCP से कई गुना ज्यादा है।