Arvind Kejriwal Bail Petition Hearing: दिल्ली हाईकोर्ट में आज अरविंद केजरीवाल के केस की सुनवाई चल रही है। केजरीवाल ने CBI की गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को चुनौती दी हुई है। इस मामले में CBI ने आज अपनी रिपोर्ट पेश की। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच सुनवाई कर रही है। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलीलें पेश कर रह हैं। केजरीवाल का पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केजरीवाल को जनता की ओर से चुना गया मुख्यमंत्री बताया।
कोर्ट ने सिंघवी ने पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान के केस का जिक्र किया। उन्होंने केजरीवाल के केस की तुलना इमरान खान के केस से की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में इमरान खान को एक केस में रिहा करके दूसरे केस में गिरफ्तार कर लिया गया। भारत देश में ऐसा नहीं हो सकता। अरविंद केजरीवाल कोई आतंकी नहीं हैं, जो उन्हें जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता। PMLA एक्ट मामले में निचली अदालत उन्हें जमानत दे चुकी है तो हाईकोर्ट को जमानत देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी ने केजरीवाल मामले की तुलना पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के मामले से की।
सिंघवी ने कहा कि तीन दिन पहले इमरान खान को जमानत मिली, लोगों ने इसे अखबारों में पढ़ा। लेकिन दूसरे मामले में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। अपने देश में ऐसा नहीं हो…— Prabhakar Kumar Mishra (@PMishra_Journo) July 17, 2024
केजरीवाल के वकील ने ये दलीलें पेश कीं
1. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी है कि अगर इस मामले की सुनवाई में देरी होती है तो अंतरिम जमानत दे दी जाए। हमने इसमें अंतरिम जमानत के लिए भी अर्जी दाखिल की है। इसलिए अगर CBI अपन पक्ष क्लीयर करने में और समय लेती है तो केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए।
2. सिंघवी ने कहा कि CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उनकी गिरफ्तारी यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि केजरीवाल किसी भी तरह जेल से बाहर न आ सकें। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी, उन्होंने समय पर सरेंडर कर दिया। यह लॉयल्टी जमानत के लिए जरूरी ट्रिपल टेस्ट की शर्त को पूरा करती है।
3. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ED केस में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे चुकी थी, लेकिन CBI गिरफ्तार करने पहुंच गई। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने PMLA केस में केजरीवाल को रेगुलर जमानत दे दी, लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। ED-CBI किसी तरह केजरीवाल को जेल से बाहर आने से रोकना चाहती हैं।
4. सिंघवी ने दलील दी कि 17 अगस्त 2022 को जो FIR दर्ज हुई, उसमें केजरीवाल का नाम नहीं है। 14 मार्च 2023 को उनको समन आए तो उनकी तरफ में खुद पेश हुआ, लेकिन उसके बाद CBI ने पूछताछ करना जरूरी नहीं समझा। आज अचानक गिरफ्तारी की जरूरत कैसे पड़ गई? यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
5. सिंघवी ने दलील दी कि मार्च 2024 में केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले हुई। केजरीवाल अभी ED की न्यायिक हिरासत में थे कि CBI कस्टडी मांगने पहुंच गई। इससे साफ जाहिर होता है कि दोनों एजेंसियां केजरीवाल को जेल से बाहर नहीं आने देना चाहतीं।
6.सिंघवी ने दलील दी कि 2 साल तक मौन साधे रखने वाली CBI अचानक मामले में इतनी एक्टिव कैसे हो गई कि कोर्ट को जमानत तक नहीं देने दे रही। संविधान के अनुसार भी केजरीवाल जमानत पाने के अधिकारी हैं और यह उनका मौलिक अधिकारी है। उन्हें जमानत न देना संविधान का उल्लंघन है।
7. सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि 20 जून को केजरीवाल को रेगुलर बेल मिली। इससे पहले की वे रिहा होते, CBI जेल में ही उन्हें कस्टडी में लेने पहुंच गई। मुझे केजरीवाल की CBI कस्टडी के आदेश न कोई कॉपी मिली, न मेरी जानकारी में डाला गया। यह सरासर एक वकील के अधिकारों का उल्लंघन है।