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छत्तीसगढ़

पहलगाम आतंकी हमले के बीच BJP नेता के लिए ‘देवदूत’ बनकर आए नजाकत, मासूम बेटी और पत्नी की बचाई जान

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमल के दौरान छत्तीसगढ़ बीजेपी युवा विंग के कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल के परिवार को स्थानीय गाइड नजाकत अहमद शाह ने बचाया। बीजेपी कार्यकर्ता ने भावुक होकर कहा कि अगर नजाकत भाई वहां न होते तो पता नहीं क्या हो जाता। उन्होंने बताया कि जब हमला हुआ तो अन्य पर्यटकों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन उनकी पत्नी पूजा और 4 साल की बेटी कुछ दूरी पर थे।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 25, 2025 18:41
Guide Nazakat Ahmed Shah and Chhattisgarh BJP youth wing worker Arvind Agrawal
गाइड नजाकत अहमद शाह और छत्तीसगढ़ भाजपा युवा विंग के कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में छत्तीसगढ़ भाजपा युवा विंग के कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल बाल-बाल बच गए। उन्होंने हमले के दौरान अपने परिवार की जान बचाने का श्रेय स्थानीय गाइड नजाकत अहमद शाह को दिया है। इस हमले में 27 लोगों की जान चली गई। नजाकत के चचेरे भाई सैयद आदिल हुसैन शाह (30) भी इस हमले में मारे गए। आदिल पर्यटकों को घोड़े पर घुमाने का काम करते थे। आदिल को कथित तौर पर आतंकवादियों को रोकने की कोशिश करते समय गोली मार दी गई।

नजाकत ने अपनी परवाह किए बिना दूसरों की मदद की

अरविंद अग्रवाल अपनी पत्नी और बेटी के साथ पहलगाम घूमने गए थे। जब हमला हुआ तो नजाकत ने उनकी पत्नी और बेटी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस दौरान नजाकत ने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की मदद की।

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अग्रवाल ने बताई पूरी कहानी

अग्रवाल (35) ने कहा कि जब मंगलवार को हमला हुआ तो अन्य पर्यटकों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन उनकी पत्नी पूजा और उनकी 4 साल की बेटी कुछ दूरी पर थीं। छत्तीसगढ़ के चिरमिरी शहर के रहने वाले अग्रवाल ने बताया, ‘सब कुछ शांतिपूर्ण था और मैं तस्वीरें खींच रहा था। तभी अचानक गोलीबारी शुरू हो गई, उस समय मेरी चार साल की बेटी और पत्नी मुझसे थोड़ी दूर थे। मेरे गाइड नजाकत (28) उनके साथ थे और एक और कपल और उनका बच्चा भी था।’ उन्होंने घटना को याद करते हुए कहा, ‘जब गोलीबारी शुरू हुई तो नजाकत ने सभी को लेटने के लिए कहा और मेरी बेटी और मेरे दोस्त के बेटे को गले लगाकर उनकी जान बचाई। इसके बाद वह उन्हें सुरक्षित जगह पर ले गया और फिर मेरी पत्नी को बचाने के लिए वापस गया।’

नजाकत नहीं होता तो पता नहीं क्या होता: अग्रवाल

उन्होंने कहा कि एक घंटे तक उन्हें नहीं पता था कि उनका परिवार सुरक्षित है या नहीं। बाद में अस्पताल में जाकर उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को देखा। अग्रवाल ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि अगर नजाकत वहां नहीं होता तो क्या होता। मेरी पत्नी के कपड़े फटे हुए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पहनने के लिए कपड़े दिए।’

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नजाकत ने दिखाई हिम्मत

वहीं, घटना को याद करते हुए नजाकत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘गोलीबारी जिपलाइन के पास हो रही थी, जहां हम खड़े थे, उससे करीब 20 मीटर की दूरी पर। मैंने सबसे पहले अपने आस-पास के सभी लोगों से जमीन पर लेटने को कहा। फिर मैंने बाड़ में एक छेद देखा और बच्चों को उस ओर जाने को कहा। इससे पहले कि आतंकवादी हमारे पास आ पाते, हम वहां से भाग निकले।’ उन्होंने बताया कि बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के बाद जब मैं वापस लौटा तो अग्रवालजी की पत्नी दूसरी दिशा में भाग गई थीं। मैंने उन्हें करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पाया और अपनी कार में वापस लाया। इसके बाद मैं उन्हें सुरक्षित श्रीनगर ले गया।’

‘आतंकवादी हमला हमारे दिल पर हमले जैसा’

उन्होंने कहा कि इसी दौरान उन्हें एक दुखद समाचार वाला फोन आया, ‘मुझे बताया गया कि मेरे चचेरे भाई आदिल हमले में मारे गए।’ हमले की निंदा करते हुए नजाकत ने कहा, ‘पर्यटन हमारी रोजी-रोटी है। इसके बिना हम बेरोजगार हैं और हमारे बच्चों की शिक्षा इसी पर निर्भर है। आतंकवादी हमला हमारे दिल पर हमला जैसा है। हमने अपनी दुकानें और व्यवसाय बंद कर दिए हैं और विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। हम अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते हैं और मुझे विश्वास है कि पर्यटक आएंगे। सुरक्षा बलों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।’

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Apr 25, 2025 06:36 PM

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