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बिजली को तरस रहा था ये गांव, भारत की आजादी के 77 साल बाद पहली बार यहां जला बल्ब

Electricity in Elmagund Village: भारत का एक गांव जो सूरज ढलने के बाद अंधेरे में पूरी तरह से डूब जाता था। 21वीं सदी में जहां हर कोई तकनीक और प्रौद्योगिकी की होड़ में लगा हुआ है, वहीं इस गांव में लोग दीया जलाकर अपना गुजारा करते थे, लेकिन अब इस गांव से अंधेरा हमेशा-हमेशा के […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Aug 16, 2023 18:58
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Electricity in Elmagund Village: भारत का एक गांव जो सूरज ढलने के बाद अंधेरे में पूरी तरह से डूब जाता था। 21वीं सदी में जहां हर कोई तकनीक और प्रौद्योगिकी की होड़ में लगा हुआ है, वहीं इस गांव में लोग दीया जलाकर अपना गुजारा करते थे, लेकिन अब इस गांव से अंधेरा हमेशा-हमेशा के लिए छट गया है। आजारी के 77 साल बाद इस गांव में पहली बार बल्ब जले हैं। गांव अब रोशन है।

एक साथ रोशन हुए सारे घर

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, ये गांव छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में है। नक्सल प्रभावित सुकमा के एल्मागुंडा गांव के घरों में पहली बार बिजली पहुंची है। बताया गया है कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यहां सारे घर रोशन हो उठे। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड और जिला पुलिस के प्रयासों से सफलता हासिल हुई है।

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अधिकारियों को करनी पड़ी मशक्कत

बताया गया है कि 14 अगस्त तक एल्मागुंडा गांव के लोगों को जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि ग्रामीणों को नक्सलियों की हरकतों से अवगत कराने और उन्हें अपने गांव के विकास पर जोर देने के लिए मनाने में काफी मशक्कत करने पड़ी। गांव वालों के साथ कई दौर की बैठकें हुईं। ग्रामीणों से भी आग्रह किया गया है कि वे नक्सलियों से दूरी बनाए रखें।

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लोगों के चेहरों पर आई मुस्कान

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मियों ने भी इस काम में बड़ा योगदान दिया है। जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य एजेंसियों के प्रयासों से ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है। करीब छह महीने पहले एल्मागुंडा में सुरक्षा बलों का एक शिविर बनाया गया था। इसके बाद विकास के काम को गति मिली। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने एएनआई को बताया कि इन दूरस्थ गांवों में सुरक्षा शिविर काफी अहम भूमिका निभाएंगे।

गांव के जीवन में गेम चेंजर की भूमिका

उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव में एक विशेष कार्यक्रम भी हुआ। कहा कि ये गांव पिछले साल ही नक्सलियों से मुक्त हुआ है। इसके बाद गांव के परिवारों बिजली कनेक्शन मिल गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि एल्मागुंड पिछले चार वर्षों में कई उदाहरणों में से एक है, जहां सुरक्षा शिविरों ने स्थानीय आबादी के जीवन में गेम चेंजर की भूमिका निभाई है।

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अब यहां के बच्चे भी पढ़ेंगे

सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा कि हिंसा प्रभावित गांवों में ग्रामीणों का विश्वास बढ़ाने और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि एल्मागुंडा के घरों में बिजली से विकास को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगा। स्थानीय आबादी को राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

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Naresh Chaudhary

First published on: Aug 16, 2023 06:58 PM

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