Bihan Scheme In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार आदिवासी क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अनेक कदम उठा रही है। इसी कड़ी में बस्तर क्षेत्र के सुदूर अंचलों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
इन योजनाओं में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Bihan) योजना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह योजना न केवल गांवों का विकास कर रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रही है। कोंडागांव जिले के माकड़ी विकास खंड के छोटे से गांव गुमड़ी की रहने वाली राधा कश्यप इस बदलाव की जीती-जागती मिसाल हैं।
पहले गरीबी में जी रहा था राधा का परिवार
राधा कश्यप अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती हैं। आज उनका परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है। पर आज से पांच साल पहले उनके घर की परिस्थिति ऐसी नहीं थी। राधा और उनके पति मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे।
राधा के पति घर चलाने के लिए खेती करते थे और राधा का सारा समय घर के काम-काज और खेती कार्य में निकल जाता था। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों ने राधा के हौसले को कम नहीं किया। उन्होंने परिवार की मदद के लिए कुछ करने का निर्णय लिया और साल 2016 में दुर्गा स्व-सहायता समूह से जुड़ गईं। यहीं से उनके आत्मनिर्भर बनने की यात्रा की शुरुआत हुई।
बिहान योजना से मिली मदद
स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद, राधा को बिहान योजना के अंदर बैंक सखी बनने का अवसर मिला। राधा को जगदलपुर आरसेटी में 10 दिन की ट्रेनिंग दी गई। जहां उन्होंने वित्तीय साक्षरता और कंप्यूटर का ट्रेनिंग ली।
इस ट्रेनिंग ने उन्हें बैंकिंग सेवाओं की बेहतर समझ दी और उन्हें अपने काम में दक्ष बना दिया। साल 2018 में उन्होंने 68 हजार रुपये का ऋण लिया और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के लिए बैंक सखी के रूप में काम शुरू किया।
अब हर महीने कमा रही 10 से 12 हजार
राधा अब बैंक सखी के रूप में हर महीने लगभग 10 से 12 हजार रुपये कमा रही हैं। यह आय उनके परिवार के लिए आर्थिक संबल बन गई है। उन्होंने अपनी आय से अपने पति के लिए किराना दुकान शुरू करने में भी मदद की। अब उनके पति खेती के साथ-साथ दुकान भी चला रहे हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई है।
राधा को बिहान योजना के तहत 2 पंचायतों में 3 गांवों का दायित्व सौंपा गया है, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 2500 है। वह ग्रामीण बैंक और डिजी-पे के माध्यम से प्रतिदिन डेढ़ लाख रुपये तक का लेनदेन करती हैं।
उनके पास वित्तीय सेवाओं के लिए प्रतिदिन करीब 80 लोग आते हैं और अब तक उन्होंने 503 बचत खाते खोले हैं। राधा के प्रयासों से अब तक लगभग 1 लाख 60 हजार डिजिटल लेनदेन हो चुके हैं, जिनमें कुल 2 करोड़ 50 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है।
मजदूरी, पेंशन, बीमा का दिला रहीं लाभ
राधा ज्यादातर मनरेगा मजदूरों का भुगतान करती हैं और अब तक 30 हजार मजदूरों को इस योजना का लाभ दिला चुकी हैं। इसके अलावा, वह वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत हर महीने 25 लोगों की पेंशन घर-घर जाकर भुगतान करती हैं। बैंक सखी के रूप में अपने काम के अलावा, राधा कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी सेवाएं दे रही हैं।
उन्होंने अब तक 1200 ई-श्रम और 800 आयुष्मान कार्ड बनाए हैं, जिससे उन्हें 30 हजार रुपये की कमीशन प्राप्त हुई है। इसके अलावा, उन्होंने लगभग 1000 लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ दिलाया है। इस तरह से राधा ने ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का त्वरित और सुलभ लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
पीएम मोदी और सीएम साय का जताया आभार
राधा कश्यप की यह सफलता की कहानी सिर्फ उनकी नहीं है, बल्कि उन लाखों महिलाओं की है, जो बिहान योजना से जुड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। राधा का कहना है कि बिहान योजना ने उनके जीवन में बदलाव लाया है।
इस योजना से जुड़े रहने के कारण ही अपने पति को आर्थिक सहायता कर पाई। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विशेष धन्यवाद दिया।
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