Fake Bank Scam: जालसाजों ने फर्जीवाड़ा कर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की नकली ब्रांच खोली और लोगों को लाखों रुपये का चूना लगा दिया। मामला छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले का है। लोगों को पता ही नहीं चला कि ये ब्रांच फेक है। पूरी प्लानिंग के साथ शातिरों ने युवाओं को ठगा। पहले फर्जी भर्ती की गई, फिर फर्जी ट्रेनिंग सेशन करवाए, जिसके लिए असली बैंक जैसा सेटअप तैयार किया गया। स्थानीय युवा इन शातिरों के जाल में फंसते गए। एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार राजधानी रायपुर से 250 किलोमीटर दूर गांव छपोरा में जालसाजों ने बैंक की नकली ब्रांच खोली। मैनेजर, कैशियर, एग्जीक्यूटिव समेत 6 लोगों को नौकरी पर रखा। बैंक के फेक लेटर हेड पर इनको नियुक्ति पत्र जारी किए गए। देश के बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के नाम पर चूना लगाया गया।
कई जिलों के यूथ को किया टारगेट
फर्जी स्कैम में बालोद, कोरबा, सक्ती और कबीरधाम समेत कई जिलों के बेरोजगारों को टारगेट किया गया। सरकारी नौकरी का झांसा देकर बड़ी रकम ली गई। कुछ युवाओं ने नौकरी के बदले 2 से 6 लाख रुपये दिए। लोगों को भनक ही नहीं लगी कि बैंक की फर्जी ब्रांच खोली गई है। छपोरा गांव में ये ब्रांच 10 दिन तक चली। असली बैंक जैसा दिखाने के लिए नया फर्नीचर, एक्टिव काउंटर लगाया गया। एसबीआई के साइन बोर्ड का भी प्रयोग किया गया ताकि किसी को शक न हो। कई ग्रामीणों ने तो लोन और खाता खुलवाने की योजना भी बना ली थी।
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स्थानीय ग्रामीण अजय अग्रवाल के अनुसार एसबीआई कियोस्क के लिए आवेदन किया था। जब उनको पता लगा कि बैंक की नई ब्रांच आ गई है तो संदेह हुआ। उन्होंने एसबीआई डबरा से संपर्क किया। जांच के बाद पता लगा कि नकली शाखा उनके गांव में खोली गई है। जालसाजों ने कुछ नकली दुकानें किराये पर लेकर काम शुरू किया था। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पटेल के अनुसार 4 आरोपियों की पहचान हो गई है। डबरा शाखा के मैनेजर ने उनको नकली ब्रांच के बारे में सूचना दी थी।
नौकरी के नाम पर हुई ठगी
आरोपियों में मंदिर दास, रेखा साहू और पंकज शामिल हैं। इन लोगों ने खुद को फर्जी मैनेजर बताया था। ज्योति यादव नाम की एक लड़की ने बताया कि सारे दस्तावेज उसने जमा करवा दिए थे। आरोपियों ने कहा था कि उसकी ज्वाइनिंग पक्की है। 30 हजार रुपये महीना सैलरी देने की बात कही थी। संगीता कंवर नाम की एक और पीड़िता से 5 लाख रुपये मांगे गए थे। संगीता ने बताया कि उसने ढाई लाख रुपये आरोपियों को दिए थे। उसे हर महीने 35 हजार रुपये सैलरी देने का वादा किया गया था। दुकानदार योगेश साहू के अनुसार कई लोगों ने यहां खाते खुलवाने का मन बना लिया था। लेकिन समय रहते फर्जी ब्रांच के बारे में पता लग गया। वरना जालसाज करोड़ों का चूना लगा सकते थे।
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