(पुरुषोत्तम पात्र)
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के इंदागांव गांव में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने आस-पास के लोगों को चौंका दिया है। बीते 1 महीने में सिर्फ 20 दिनों के अंदर-अदंर 16 आत्महत्याओं के प्रयासों के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य शासन ने रायपुर से एक्सपर्ट्स की 6 सदस्यीय टीम को गांव भेजा गया है।
टीम में शामिल कई लोग
इस टीम में मनोरोग चिकित्सक, सामाजिक विशेषज्ञ और महामारी विभाग के डॉक्टर शामिल हैं। टीम का नेतृत्व डॉक्टर संदीप अग्रवाल द्वारा किया जा रहा हैं, जो प्रमुख जांच अधिकारी हैं। टीम में काले शर्ट में देखे गए। उनके साथ विशेषज्ञ राजेंद्र बीनकर (आसमानी शर्ट में) भी गांव में मौजूद रहे। टीम ने करीब 5 घंटे गांव में बिताए और आत्महत्या करने वाले या प्रयास करने वाले परिवारों से बातचीत कर उन लोगों की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं की गहराई से जांच-पड़ताल की।
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सामने आए कई कारण
प्रारंभिक जांच में जो मुख्य कारण सामने पाए गए, वे इस प्रकार हैं- नशे की लत, घरेलू कलह और बेरोजगारी के चलते उत्पन्न हुए मानसिक अवसाद। जांच में यह भी सामने आया कि गांव में बनने वाली कच्ची शराब में जानलेवा सामग्री जैसे यूरिया, तंबाकू के पत्ते और धतूरे का इस्तेमाल हो रहा था, जो मानसिक संतुलन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
इस गंभीर और आपात स्थिति के मद्देनजर प्रशासन ने अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए महिला वाहिनी भी गठित की है। यह वाहिनी गांव में सक्रिय रूप से निगरानी कार्य करेगी और अवैध गतिविधियों को रोकने के प्रयास करेगी।
प्रशासन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि टीम की पूरी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाएगी, ताकि सरकार आवश्यक और उचित कदम उठा सके। विशेषज्ञ राजेंद्र बीनकर ने सुझाव दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाना बेहद जरूरी है।
यह घटना न सिर्फ प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि मानसिक स्वास्थ्य को अब प्राथमिकता देना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है।
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