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कोरबा में हाथियों का आतंक, डर से नेता नहीं कर रहे चुनाव प्रचार, शाम होते ही लोगों का बाहर निकलना हो जाता है बंद

Chhattisgarh Election Elephants terror in Korba: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के रामपुर में हाथियों ने आतंक मचा रखा है। जिसके बाद चलते आम लोगों के साथ-साथ नेताओं में भी डर बैठ गया है। नेता हाथियों के खौफ से चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं।

Edited By : khursheed | Updated: Feb 28, 2024 22:23
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कोरबा में हाथियों का आतंक, डर से नेता नहीं कर रहे चुनाव प्रचार, शाम होते ही लोगों का बाहर निकलना हो जाता है बंद

Chhattisgarh Election Elephants terror in Korba: छत्तीसगढ़ को मिलाकर इस महीने पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इसके लिए सभी पार्टियों के नेता जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हुए हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के विधानसभा रामपुर में हथियों ने आतंक मचा रखा है। जिसके चलते नेता डर के मारे प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि क्षेत्र में हाथियों से नेता और लोग इतने खौफ में हैं कि शाम को अंधेरा होने के पहले ही प्रचार थम जाता है और लोग भी घर से बाहर नहीं निकलते हैं। यहां पर हाथी सड़क पार करते हुए आसपास में ही घूमते रहते हैं। इसी के साथ किसी भी राजनैतिक दल का नेता अपनी जान जोखिम में डालकर चुनाव प्रचार नहीं करना चाहता है।

आसपास घूमते रहते हैं हाथियों के झुंड

इसके अलावा चोटिया से कोरबी पाली के बीच और कोरबी से पसान के बीच में हाथियों की आवाजाही रहती है। इसके साथ ही नेशनल हाइवे में चोटिया से केंदई के बीच कभी भी हाथी सड़क पर आ जाते हैं। अभी 29 हाथियों का झुंड कोरबी के आसपास और पसान में 15 हाथियों का झुंड घूम रहा है। हाथियों का झुंड एक दिन में 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करता है। इसकी वजह से यह पता ही नहीं चलता कि कहां, कब हाथी पहुंच जाए और किसके हमला कर दे। कुल्हरिया के निर्मल सिंह का कहना है कि भीतरी सड़कों में शाम होने के बाद आवाजाही बंद हो जाती है।

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हाथियों की वजह से लोगों की दिनचर्या बदली

बताया जा रहा है कि हाथियों का लोगों में इस प्रकार डर बैठ गया है कि आम लोगों के साथ-साथ नेता भी शाम होते ही लौट जाते हैं। रात में बिल्कुल भी प्रचार नहीं किया जाता है। कोरबी इंद्रपाल सिंह ने बताया कि पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस के पीछे ही डूबान क्षेत्र है। केंदई और पसान रेंज की सीमा पनगवां से लगी हुई है। नदी और नाला पारकर हाथी कुरूपारा पहुंच जाते है। वहीं, धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि यहां के लोगों की दिनचर्या बदल गई है। रात के समय कोई भी जंगल वाले मार्ग से जाना नहीं चाहता। इसका मुख्य कारण रात के समय हाथियों का झुंड अलग-अलग हो जाता है। शाम को ही केंदई रेंज में हमले की दो घटनाएं हो चुकी हैं। केंदई रेंजर अभिषेक दुबे का कहना है कि हाथियों के मूवमेंट के आधार पर ग्रामीणों को सतर्क करते हैं। सरगुजा से आए दंतैल हाथी की निगरानी के लिए टीम लगाई गई है।

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(Alprazolam)

First published on: Nov 11, 2023 11:40 AM

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