Chhattisgarh Assembly election : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने जीत के लिए ताकत झोंक दी हैं। इन दिनों राज्य में आचार संहिता लगी है और पार्टियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। प्रदेश की किसी सीट पर कांग्रेस तो किसी सीच पर बीजेपी का पलड़ा भारी है, लेकिन एक छत्तीसगढ़ में एक सीच ऐसी भी है, जिसमें 1952 से लेकर आज तक बीजेपी कभी नहीं जीत पाई। इस सीट पर पीएम मोदी का भी मैजिक नहीं चला।
मध्यप्रदेश से लगी छत्तीसगढ़ की कोटा विधानसभा में बीजेपी कमल खिलाने की हर कोशिश कर रही है। 1952 से लेकर कोटा विधानसभा सीट पर अब तक 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। काशीराम तिवारी इस सीट से पहले विधायक चुने गए थे, जबकि उनके बाद मथुरा प्रसाद दुबे 4 बार और राजेंद्र शुक्ला 5 बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। राजेंद्र शुक्ला के निधन के बाद 2006 में हुए उपचुनाव में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीतीं थीं। 1952 से लगातार 2018 को छोड़कर कांग्रेस पार्टी यहां जीतती आई है। 2018 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी से रेणु जोगी विधायक बनीं थीं। विधानसभा चुनाव की तासीर को देखा जाए तो रेणु जोगी को अगर छोड़ दें तो ज्यादातर यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी ही चुनाव जीत कर आए हैं।
साल 1952 से 1962 तक यहां काशीराम तिवारी विधायक रहे। 1967 से 1980 तक मथुरा प्रसाद दुबे विधायक रहे। इसके बाद 5 बार राजेंद्र प्रसाद शुक्ल यहां विधायक बने। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी। काफी कोशिशों के बाद भी बीजेपी को अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।
इतिहास बदलने के लिए बीजेपी ने झोंकी ताकत
इस बार कोटा से बीजेपी ने प्रबल प्रताप जूदेव को मौका दिया है। संभावना है कि जोगी परिवार से इस बार फिर कोई सदस्य कोटा से चुनाव लड़े। संभवतः यही कारण है कि बीजेपी ने इस बार दिवंगत जूदेव के बेटे को मौका दिया है, ताकि मुकाबला जोगी बनाम जूदेव हो जाये और इस दो ध्रुवीय मुकाबले में कांग्रेस डैमेज़ हो, लेकिन कांग्रेस की ताकत उसका इतिहास और उनके कैडर वोटर हैं।