अरुण कुमार, अररिया
बिहार के अररिया जिले में एक बार फिर खनन माफिया की हैवानियत सामने आई है। गुरुवार को फारबिसगंज के रामपुर गांव में खनन विभाग की टीम पर उस समय हमला कर दिया गया, जब वह अवैध मिट्टी खनन रोकने पहुंची थी। ट्रैक्टर जब्त होते ही 50-70 की भीड़ ने अचानक टीम पर हमला कर दिया। अधिकारी और पुलिसकर्मी जान बचाकर भागे, लेकिन फिर भी चार पुलिसकर्मी और कई अधिकारी घायल हो गए। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि खनन माफिया अब किसी से नहीं डरते और प्रशासन की पकड़ से बाहर होते जा रहे हैं।
अवैध खनन रोकने गई टीम पर हमला
बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज थाना क्षेत्र के रामपुर गांव में गुरुवार को खनन विभाग की टीम पर हमला कर दिया गया। यह टीम इलाके में अवैध खनन रोकने के लिए गई थी। टीम ने एक ट्रैक्टर को जब्त किया था, जो अवैध तरीके से मिट्टी खनन में लगा हुआ था। इसी दौरान लगभग 50 से 70 की संख्या में स्थानीय उपद्रवियों ने टीम पर हमला कर दिया और जब्त किया गया ट्रैक्टर जबरन छुड़ाकर ले गए। इस हमले में माइनिंग इंस्पेक्टर अरमान, सहायक अभियंता संजीव कुमार, कनीय अभियंता सुमित कुमार और अन्य कई अधिकारी और कर्मचारी घायल हो गए।
कई अधिकारी और पुलिसकर्मी घायल
घटना के दौरान खनन विभाग की टीम के साथ गई पुलिस टीम भी हमले की चपेट में आ गई। इस हिंसक हमले में चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल कर्मियों में सनोज कुमार मंडल, वरुण सरदार, संजय कुमार विश्वास और उपेंद्र यादव शामिल हैं। इन सभी को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद पूरे रामपुर गांव को पुलिस छावनी में बदल दिया गया है। लगातार बढ़ रही ऐसी घटनाएं यह दिखाती हैं कि खनन माफिया का मनोबल राज्य में किस कदर बढ़ चुका है।
मोबाइल छीना, वीडियो डिलीट किए
सिंचाई विभाग के पदाधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि जब वह अकेले जांच करने मौके पर गए, तो उपद्रवियों ने उनका मोबाइल भी छीन लिया और उसमें मौजूद वीडियो डिलीट कर दिए। उन्होंने बताया कि उन्होंने घटना की सूचना फारबिसगंज पुलिस और स्थानीय विधायक को दी, लेकिन कोई भी समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। इसके कारण हालात और बिगड़ गए और टीम पर हमला हो गया। लोगों ने लाठियों और पत्थरों से हमला किया, जिससे कई कर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं।
खनन माफिया बेखौफ, प्रशासन पर सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी अररिया जिले में कई बार पुलिस और विभागीय टीमों पर हमले हो चुके हैं। बीते दिनों एक पुलिस अधिकारी की शहादत भी इसी तरह की कार्रवाई के दौरान हुई थी। इस ताजा घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि खनन माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं और सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। प्रशासन को अब ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई करनी होगी ताकि सरकारी कर्मचारी सुरक्षित रह सकें और कानून का भय कायम रह सके।