Prashant Kishore Slam on Nitish Govt, बेगूसराय: नीतीश कुमार की सरकार ने चुनाव से ठीक पहले बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत उन्होंने प्रदेश के 94 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपये देने का वादा किया है। हालांकि सीएम नीतीश के इस फैसले से जन सुराज के सूत्रधार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर खुश नहीं हैं। उन्होंने बिहार सरकार के इस वादे को चुनावी लॉलीपॉप बताया है।
2 लाख रुपये का लॉलीपॉप
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार सरकार गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपये बांट पाए तो अच्छी बात है, क्योंकि न इन्होंने पैसे देने हैं और न ही कुछ करना है। अभी चुनाव सामने हैं तो यह लॉलीपॉप बांटने का मौका है। अगर सरकार के पास साधन हैं तो पैसे ट्रांसफर करने चाहिएं, लेकिन बिहार में 3.25 करोड़ परिवार रहते हैं। आर्थिक-सामाजिक नजरिए से बिहार देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य है। यहां 100 में 80 प्रतिशत लोग दिनभर में 100 रुपये भी नहीं कमा पाते हैं। बिहार में प्रति व्यक्ति आय लगभग 35 हजार रुपये है। वहीं देश में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 35 हजार रुपये हैं। ऐसे में अगर बिहार सरकार कह रही है कि वह सबसे गरीब परिवार की मदद करेगी तो मदद कीजिए, लेकिन इस तरह की रेवड़ियां बांटने से कुछ होने वाला नहीं है। जब तक आप समाज को पढ़ाएंगे नहीं, शिक्षित नहीं बनाएंगे, रोजगार नहीं देंगे, तब तक सुधार नहीं होगा।
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राजा-प्रजा वाली व्यवस्था
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि यह राजा-प्रजा वाली व्यवस्था है कि जब आप गरीबी-परेशानी में पड़ेंगे तो हम मदद कर देंगे। राजद जैसे दलों का यही मॉडल है। अस्पताल सुधारना नहीं है, अस्पताल का औचक निरीक्षण करना है। अरे पहले अस्पताल सुधारो, उसके लिए कोई व्यवस्था बनाओ, उसके बाद ही निरीक्षण होना चाहिए। यहां तो बस इन्हें खबरों में रहना है।
बेवकूफ नहीं है जनता
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि 2 लाख रुपये को अगर 3 किश्तों में दिया जाए, तो पहली किश्त 65 हजार रुपये की होगी। अब भला 5 हजार रुपये प्रति महीना मिलने से किस परिवार की गरीबी दूर हो जाएगी? 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने एक योजना जारी की थी, जिसमें हर परिवार को 6 हजार रुपये देने की बात कही थी। उससे उन्हें कोई वोट मिला, क्या जनता इतनी बेवकूफ है? 2 लाख रुपये अगर आप प्रति परिवार देते हैं तो 5 हजार रुपये महीना होगा। वहीं परिवार में अगर 5 लोग रहते हैं तो प्रति व्यक्ति का हजार रुपये होगा। वृद्धा पेंशन दे रहे हैं प्रति व्यक्ति 1 हजार रुपये, यह पब्लिक को बेवकूफ बनाने की बात है।