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बिहार में दही-चूड़ा भोज पर सियासत…कई राजनीतिक उठा पटक का गवाह रही है मकर संक्रांति

Politics Over Dahi-Chuda Feast In Bihar: बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर चिराग पासवान ने उन्हें दही चूड़ा भोज में आमंत्रित किया था, लेकिन जब सीएम नीतीश कुमार वहां पहुंचे तो चिराग पासवान मौजूद नहीं थे।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Jan 14, 2025 18:23
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Politics Over Dahi-Chuda Feast In Bihar (अमिताभ ओझा): बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर हर साल की तरह चूड़ा-दही भोज इस बार भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बिहार में मकर संक्रांति को लेकर राजनीतिक पंडितों का अपना-अपना आकलन रहता है। क्योंकि मकर संक्रांति पर चूड़ा दही और खिचड़ी के भोज से राजनीति को कई खिचड़ी पकने लगती है।

यही वजह है कि कई महीने पहले से कहा जाने लगता है कि खरवास के बाद खेला होगा। आज मकर संक्रांति के दिन सबकी निगाहें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद पर टिकी थीं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन लालू आवास में जहां चूड़ा दही का भोज बिना तामझाम के था, वहीं इस बार चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास की तरफ से भव्य तैयारी की गई।

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पार्टी ऑफिस में चूड़ा दही भोज का आयोजन किया गया था, लेकिन यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खेला कर दिया। नीतीश कुमार सुबह पौने दस बजे ही लोजपा आवास पहुंच गए। उस समय चिराग पासवान भी वहां मौजूद नहीं थे। हालांकि, वहां प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी मौजूद थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री की अगवानी की। अब नीतीश कुमार के खेला पर राजनीति होना लाजमी है।

सांसद मीसा भारती ने फिर बड़ा बयान दिया

बिहार में सियासी उठापटक पर राजद सांसद मीसा भारती का बयान संभावनाओं से इनकार नहीं कर सकते हैं। हालांकि, एक और सियासी चूड़ा दही भोज 13 जनवरी को ही हुआ था। बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के आवास पर भोज का आयोजन किया गया था, जिसमें एनडीए गठबंधन के सभी नेताओं सहित राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

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हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने पार्टी कार्यालय में चूड़ा दही का भोज दिया था। जबकि 15 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के अध्यक्ष पशुपति पारस ने भी चूड़ा दही का भोज रखा है। खास बात यह है कि इसमें एनडीए के साथ-साथ महा गठबंधन के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। जबकि कल ही सांसद लवली आनंद के विधायक बेटे चेतन आनंद ने भी भोज रखा है।

दरअसल, पिछले कई सालों से मकर संक्रांति के दिन बिहार की राजनीति में बड़े खास मायने रहे हैं। 2022 में एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार पैदल ही लालू प्रसाद के आवास पर चूड़ा दही खाने पहुंच गए थे। जहां राबड़ी देवी ने उन्हें दही का तिलक भी लगाया था।

इसी साल अगस्त महीने में नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़कर महा गठबंधन के साथ चले गए, तो 2024 में मकर संक्रांति के दिन से ही राजनीतिक समीकरण बदलने लगे और मकर संक्रांति के बाद 28 जनवरी को नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। इस साल भी राजनीति तब गरमा गई जब दिसंबर के महीने में लालू प्रसाद ने कह दिया कि नीतीश के लिए उनके दरवाजे खुले हैं। लालू के बाद उनकी सांसद बेटी मीसा भारती ने अपने बयान से राजनीति को गरमा दिया था।

हालांकि, लालू के इस बयान के बाद बीजेपी जहां सकते में थी। वहीं, दूसरी तरफ जेडीयू के नेता भी खुद को असहज महसूस कर रहे थे। हालांकि, प्रगति यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही इन अफवाहों पर विराम लगा दिया। उन्होंने यात्रा के क्रम में कह दिया – दो बार गलती से चले गए थे, लेकिन अब कहीं नहीं जाएंगे।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार के अनुसार बिहार में चूड़ा दही के भोज की शुरुआत तो लालू प्रसाद ने ही 1995 में की थी। धीरे-धीरे चूड़ा दही के बहाने राजनीतिक समीकरण भी साधे जाने लगे। हालांकि, कोरोना काल के दौरान चूड़ा दही भोज का आयोजन नहीं हुआ था।

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Edited By

Deepti Sharma

First published on: Jan 14, 2025 06:23 PM

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