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बिहार

Bihar Election से पहले मोदी सरकार का बड़ा दांव! जात‍ि जनगणना पर मुहर, क्या पड़ेगा असर?

Caste Census : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। पीएम मोदी की कैबिनेट ने अगले जनगणना में जाति जनगणना को शामिल कराने को मंजूरी देकर विपक्ष का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा छीन लिया है। इस फैसले का बिहार चुनाव में एनडीए को फायदा मिल सकता है। ऐसे में विपक्ष को नई रणनीति बनानी होगी।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 30, 2025 17:48

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले बुधवार को हुई राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) ने बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना को मंजूरी देकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। इससे महागठबंधन के हाथ से उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा छीनता नजर आ रहा है। लंबे समय से राहुल गांधी और विपक्ष जाति जनगणना की मांग को लेकर भाजपा पर हमलावर थे, लेकिन अब एनडीए सरकार के इस कदम से सियासी समीकरण तेजी से बदल सकते हैं। इस फैसले का बिहार चुनाव में काफी असर देखने को मिल सकता है।

जाति जनगणना क्यों है अहम?

विपक्ष हमेशा से कहता रहा है क‍ि पिछड़े वर्गों की संख्‍या ज्‍यादा है लेकिन उनकी भागीदारी उतनी नहीं है। राहुल गांधी हर सभा में कहते रहे हैं क‍ि उनकी सरकार बनी तो जात‍ि जनगणना कराएंगे और आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाएंगे। विपक्ष का मानना है क‍ि जाति जनगणना होगी तो समाज में क‍िस जात‍ि के क‍ितने लोग हैं, उसके बारे में पता चल सकेगा और आरक्षण का लाभ उन्‍हें द‍िया जा सकेगा। वहीं, पीएम मोदी ने बड़ा दांव चलते हुए विपक्ष से यह मुद्दा छीन लिया है।

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JDU ने पीएम मोदी के फैसले का किया स्वागत

सीएम नीतीश कुमार ने एक्स पर पोस्ट कर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। सीएम नीतीश ने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा, जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का अभिनंदन एवं धन्यवाद।

वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला लिया है। जेडीयू ने इस फैसले को स्वागत योग्य कहा है। अभिषेक झा ने कहा कि जेडीयू का मानना है कि हमारे नेता नीतीश कुमार की यह लंबे समय से मांग थी।

‘कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया’

राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराने का फैसला किया। यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण किए हैं। जबकि कुछ राज्यों ने यह अच्छा किया है, कुछ अन्य ने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।’

ये भी पढ़ें:- केंद्र सरकार कराएगी जाति जनगणना, सीसीपीए की बैठक में हुआ फैसला

बिहार में चुनाव में क्या पड़ेगा असर?

बिहार की राजनीति में जाति की बड़ी भूमिका रही है। यहां जाति के आगे बड़े-बड़े मुद्दे फेल हो जाते हैं। ऐसे में मोदी सरकार का यह फैसला निर्णायक साबित हो सकता है। एनडीए को पिछड़े वर्गों में बढ़त मिल सकती है, खासकर उन मतदाताओं के बीच जो अब तक इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों का साथ देते आए हैं। ऐसे में आरजेडी और कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी होगी, क्योंकि भाजपा ने उनके मुख्य एजेंडे को खुद ही आगे बढ़ा दिया है। नीतीश कुमार की जेडीयू भी जाति जनगणना की वकालत करती रही है, ऐसे में भाजपा और जेडीयू का तालमेल और मजबूत हो सकता है।

जाति जनगणना से क्या होगा फायदा?

जात‍ि जनगणना होने से क‍िस जात‍ि के क‍ितने लोग हैं, उसके बारे में पता चल सकेगा। अगर पिछड़ी जात‍ि के लोग ज्‍यादा हैं तो उन्‍हें ज्‍यादा आरक्षण देने का दबाव बनेगा। साथ ही जाति जनगणना कराने से उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी। बिहार में सरकार यह दावा करती रही है कि जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सरकारी योजना बनाने में मदद मिलेगी और जरूरतमंद लोगों के लिए योजना बनाने में सरकार को मदद मिलेगी। बिहार में जातीय राजनीति की गहरी पकड़ है। जाति के आधार पर ही सत्ता की कुर्सी मिल पाती है। बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे कराया था, जिसका उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा भी मिला था।

बिहार में हो चुकी है जाति जनणगना 

बता दें कि बिहार में जाति जनणगना हो चुकी है, लेकिन केंद्र से इस जनगणना को मंजूरी नहीं मिली है। बिहार में 2 अक्टूबर 2023 को जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए गए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है। आंकड़े के मुताबिक राज्य में सबसे बड़ी आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) की है, जो राज्य की कुल आबादी के करीब 36 फीसदी है। इसके बाद सबसे बड़ी आबादी पिछड़ा वर्ग (OBC) की है, जो राज्य की आबादी के 27 फीसदी है। यानी ईबीसी और ओबीसी को मिला दिया जाए तो ये आकंड़ा 63 फीसदी हो जाता है।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Apr 30, 2025 05:19 PM

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