Why Nitish Kumar Is Important For NDA : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की राजनीति बड़े तूफान से गुजर रही है। भाजपा को केंद्र में सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी महागठबंधन बनाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से भगवा दल के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो सकते हैं। लेकिन, इसमें सिर्फ नीतीश का फायदा नहीं है। भाजपा के लिए भी कहीं न कहीं वह बहुत जरूरी हैं।
नीतीश कुमार कहां ज़्यादा फ़ायदे में रहेंगे? #NitishKumar | #TejashwiYadav | #BiharPolitics
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एक बात तो स्पष्ट है कि भाजपा इस समय बेहद मजबूत स्थिति में है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन भी हो गया है। भाजपा के नेता यह भी कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार का पार्टी में स्वागत नहीं किया जाएगा। लेकिन अब नीतीश विरोधी बातें करने वाले भाजपा नेताओं के सुर भी बदले हैं। सुशील मोदी कह चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो बंद दरवाजों को खोला भी जा सकता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि फिर नीतीश कुमार एनडीए की मजबूरी क्यों हैं? इसके पीछे का कारण है पिछले लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का प्रदर्शन और बिहार में नीतीश की मजबूती।
कैसा रहा था 2020 का विधानसभा चुनाव
बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने 125 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई थीं। यह चुनाव नीतीश ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा ने 74 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी तो वहीं जदयू को 43 सीटें मिली थीं। लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया था और महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे।
BJP के दरवाज़े नीतीश कुमार के लिए कैसे और क्यों खुले ?
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इससे पहले 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2020 में जदयू की स्थिति कमजोर जरूर हुई लेकिन यह नीतीश कुमार का नेतृत्व ही था कि वह फिर भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। नीतीश का चुनावी मैनेजमेंट उन्हें प्रदेश के बाकी नेताओं से काफी आगे खड़ा करता है। ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा समझती है कि बिहार में नीतीश कितने अहम हैं और उनके साथ से उसे कितना फायदा मिल सकता है।
कैसी थी 2019 लोकसभा चुनाव की तस्वीर
साल 2019 में हुआ पिछला लोकसभा चुनाव का परिणाम भी बताता है कि नीतीश कुमार एनडीए के लिए क्यों जरूरी हैं। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इनमें से जदयू ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा को 17 सीटों पर जीत मिली थी। यह चुनाव भी नीतीश ने एनडीए में शामिल रहकर लड़ा था। ऐसे में साफ है कि अगर नीतीश एनडीए में शामिल होते हैं तो भाजपा को बड़ा लाभ होने की संभावना है।
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