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Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में आसान नहीं तेजस्वी यादव की राह, माले और मुकेश सहनी ने बढ़ाई मुश्किलें

Mahagathbandhan Seat Sharing Dispute: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर काफी दिक्कतें बढ़ गई हैं। सीपीआई माले और वीआईपी ने क्रमशः 45 और 60 सीटों की डिमांड रखी है जोकि अब तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बनती जा रही है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 13, 2025 13:50
Mahagathbandhan Seat Sharing Dispute
तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी (Pic Credit- Social Media Tejashwi Yadav)

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा परेशानी अगर कोई खड़ी कर रहा है तो वह छोटे दल है। जोकि अपनी मांगों के कारण मीडिया की जमकर सुर्खिया बटोर रहे हैं। एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधनों में ऐसे दलों की भरमार है। हालांकि एनडीए में ऐसे करीब 3 दल हैं। जबकि इंडिया गठबंधन में वामदल और वीआइपी छोटे क्षत्रप हैं जोकि गठबंधन की बड़ी पार्टियों के लिए परेशानी बने हुए हैं।

सहनी-माले ने मांगी कितनी सीटें?

इंडिया गठबंधन में छोटे दलों की बड़ी ख्वाहिश अब सामने आने लगी है। इंडिया गठबंधन में भाकपा (माले), भाकपा और भाकपा (एम) और वीआईपी और एलजेपी जैसी पार्टियां शामिल हैं। एक दिन पहले ही इंडिया गठबंधन की बैठक हुई है। बैठक में सीट बंटवारे को लेकर क्या बातचीत हुई? ये अभी क्लियर नहीं हो पाया है लेकिन भाकपा माले ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। भाकपा माले ने 45 सीटों की मांग की है। जबकि वीआईपी के मुकेश सहनी 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब तक मुकेश सहनी 10-11 सीट पर चुनाव लड़ते आए हैं ऐसे में अचानक उनका 60 सीटों की डिमांड करना समझ से परे हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। उनकी पार्टी चारों सीटों पर चुनाव हार गई थी।

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सीपीआई माले के अध्यक्ष दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि उनकी पार्टी 12 जून से 27 जून तक बदलो सरकार बदलो बिहार नामक यात्रा निकाल रही है। इसके जरिए पार्टी बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है। जोकि मगध और चंपारण क्षेत्र से निकाली जाएगी।

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सहनी-माले की डिमांड कैसे पूरी करेंगे तेजस्वी?

2020 के चुनाव में बिहार की 243 सीटों में आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि कांग्रेस ने 70, सीपीआई माले ने 19, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में तेजस्वी के लिए माले और मुकेश सहनी की डिमांड पूरी करना आसान नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो छोटे दल अपना वजूद बनाए रखने, चुनावी सुर्खियां बटोरने और ज्यादा से ज्यादा सीटें चुनाव में मिले इसलिए अधिक सीटों की डिमांड करते हैं। जैसे मुकेश सहनी लगातार डिप्टी सीएम बनने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह है कि तेजस्वी यादव सभी पार्टियों की डिमांड कैसे पूरी कर पाएंगे।

न काडर, न कार्यकर्ता फिर भी चाहिए ज्यादा सीटें

वहीं एनडीए में भी जीतनराम मांझी और चिराग पासवान लगातार सीटों की डिमांड कर रहे हैं। केवल अपनी जाति के दम पर राजनीति करने निकले इन नेताओं के पास न तो कार्यकर्ता और न ही काडर। केवल दो-चार सीटों पर चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद ये पार्टियां स्वयं को बड़ी क्षेत्रीय ताकत समझने लगती है। इसका उदाहरण पिछला विधानसभा चुनाव है। जब चिराग पासवान सीट बंटवारे से नाराज होकर एनडीए से अलग लड़े थे और नतीजा सब जानते हैं कि वे केवल 1 ही सीट पर जीत दर्ज कर पाए। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी और आरजेडी जैसी पार्टियां इनके साथ समझौता करेगी?

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First published on: Jun 13, 2025 01:36 PM

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