Bihar Assembly Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है। पीएम मोदी की रैलियों में मंच साझा करने वाले नेता और मंत्री लगातार बयानबाजी करते हैं जोकि कहीं न कहीं उनके लिए ही नुकसानदायक होने वाला है। केंद्रीय मंत्री और लोजपा आर के अध्यक्ष चिराग पासवान अपने बयानों से पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी सरगर्मियां बढ़ा देते हैं। अब ताजा मामला मांझी के बयान को लेकर है। मांझी ने कहा कि अगर कोई अपनी महत्वाकांक्षा के लिए बिहार में जाना चाहते हैं तो कोई रोक नहीं रहा है। लेकिन बिहार को अभी किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नेतृत्व में बिहार लगातार तरक्की कर रहा है। उनके इस बयान पर लोजपा आर ने पलटवार भी किया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या एनडीए में दलित वोटर्स को लेकर सियासी बवाल हो रहा है?
दलित समागम का किया था आयोजन
नालंदा में आयोजित भीम सकंल्प समागम को लेकर पिछले कुछ समय से नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी लगातार चिंतित हैं। जबकि बीजेपी ने अपनी ओर से चुप्पी साध रखी है। यह सब कुछ ठीक वैसा ही हो रहा है जैसा 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान पहले सीट बंटवारे को लेकर नाराज थे। इसके बाद खुद को हर रैली और सभा में पीएम मोदी का हनुमान बताते और नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर प्रचार करते। पिछली बार नीतीश कुमार ने बंद कमरे में चिराग पासवान को मनाया या नहीं ये नहीं पता। लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने चिराग से पूछ ही लिया कि आप केंद्रीय मंत्री हैं आपको बिहार में चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है?
2020 वाली कहानी से बचने की जुगत में नीतीश
कुछ हद तक नीतीश कुमार की बात ठीक भी है। ये बात तो चिराग पासवान ही जानते हैं कि वे 243 सीटों पर कार्यकर्ताओं को तैयारी करने के लिए क्यों कह रहे हैं? खुद चुनाव में उतरने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए आरक्षित नहीं बल्कि रिजर्व सीट से लड़ने की बात सामने आ चुकी है। ऐसे में नीतीश कुमार की चिंताएं बढ़ना लाजिमी है। पिछली बार चिराग 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें। ऐसी जगहों से अपने उम्मीदवार उतारे जोकि सीएम की पार्टी को चुनौती दे रहे थे। विश्लेषकों की मानें तो चिराग पासवान फिलहाल दबाव की रणनीति बना रहे हैं। उनकी मंशा 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। जोकि अकेले बीजेपी से मिलना संभव नहीं है। ऐसे में वह नीतीश कुमार पर भी इसको लेकर दबाव बना रहे हैं ताकि जेडीयू कुछ सीटें उनके कोटे की उनको दे।
मांझी के लिए भी परेशानी बन रहे चिराग!
जीतनराम मांझी और चिराग पासवान के बीच विवाद की जड़ दलित वोटर्स हैं। जहां एक ओर लोजपा शुरुआत से ही 6 प्रतिशत पासवान वोटर्स पर दावा करती आई है लेकिन इस बार वह महादलित वोटर्स की ओर रुख कर रही है जोकि मांझी के लिए खतरे की घंटी हैं। ऐसे में मांझी लगातार चिराग पासवान को लेकर मुखर हैं। वे उनके बिहार में चुनाव लड़ने को लेकर भी सवाल खड़े कर चुके हैं। दरअसल बिहार में कुल 19 प्रतिशत दलित वोटर्स हैं। इस बार चिराग पासवान की कोशिश है कि वह पासवान वोटर्स वाली सीटों के अलावा अन्य दलित वोटर्स की ओर फोकस करें। इसको लेकर उन्होंने कुछ रोज पहले नालंदा में दलित समागम का आयोजन किया था। जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। ऐसे में चिराग फिलहाल बिहार की राजनीति में सस्पेंस बने हुए है दूसरी ओर बीजेपी ये सभी स्थिति चुपचाप बैठकर देख रही है। अब देखना यह है कि चिराग पासवान इस बार के चुनाव में किसका नुकसान करते हैं?
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