Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बिहार चुनाव को लेकर काफी सक्रिय हो गए हैं। पिछले दिनों आरा में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे बिहार से चुनाव लड़ेंगे और सभी सीटों पर लड़ेंगे ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि क्या एनडीए में रहकर चिराग सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे इससे किसका फायदा होगा? चिराग ने अपनी रैली में यह भी कहा कि इससे एनडीए को ही फायदा होगा? हालांकि यह फायदे वाली राजनीति के जानकारों और विश्लेषकों के गले नहीं उतर रही। इस बीच आज चिराग पासवान अपनी उम्मीदवारी और पार्टी की रणनीति को लेकर बड़ा फैसला कर सकते हैं।
प्रेशर पॉलिटिक्स या कुछ और
राजनीति के जानकारों की मानें तो सीट बंटवारे में मोल भाव और दबाव बनाने के लिए चिराग ने ऐसा बयान दिया है। ये भी अटकलें लगाई जा रही है कि उनकी नजर सीएम की कुर्सी पर है। सीएम बनना उनकी महत्वाकांक्षा में शामिल है। उनकी पार्टी के प्रदेश और जीजा अरुण भारती इन दिनों उनकी ओर से मोर्चा संभाले हुए हैं। चिराग पासवान केंद्र में मंत्री है, ऐसे में उनका विधायक का चुनाव लड़ना काफी हैरानीभरा फैसला लगता है। उनके पास वोटों की वो ताकत भी नहीं है कि वे अकेले चुनाव लड़कर बिहार के सीएम बन जाएं। ऐसे में एनडीए को फायदे वाली बात तो दूर फिलहाल तो उनकी पार्टी का फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।
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2005 और 2020 दोहराने की तैयारी
बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा गया है। जिस तरह हवा का रूख होता है उस तरफ वे भी हो लेते थे। 2005 के चुनाव में भी रामविलास पासवान ने अलग से चुनाव लड़कर सभी को चौंका दिया था। जबकि उस समय वे केंद्र में मंत्री थे। ठीक ऐसा ही उनके बेटे 2025 में कर रह हैं। वे केंद्र में मंत्री हैं लेकिन उनकी पार्टी बिहार में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं 2020 में चिराग पासवान ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस कारण उनकी पार्टी ने जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने सभी जगह वोट तो पीएम मोदी के नाम पर मांगे लेकिन चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़े। इस चुनाव के बाद नीतीश कुमार चिराग पासवान से काफी खफा हो गए थे।
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का परिणाम यह हुआ कि जेडीयू का वोट शेयर 7 प्रतिशत तक कम हो गया था। जबकि बीजेपी के वोट शेयर में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई थी। ऐसे में अब देखना यह है कि क्या चिराग पासवान किंगमेकर बन पाएंगे? या 2020 की तरह वो एक वोट कटवा पार्टी बनकर रह जाएंगे।
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