बिहार चुनाव से पहले पटना में बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है। पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू को नगर विकास विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सवाल उठ रहा है की क्या आयुक्त और मेयर की लड़ाई में मेयर का विकेट गिर जायेगा, जबकि सीता साहू भाजपा समर्थित हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी और नगर निगम आयुक्त अनिमेष पराशर के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा था। हालात तब और बिगड़े जब नगर आयुक्त ने मेयर के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। हालांकि मेयर के बेटे शिशिर कुमार भी बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य है। मेयर ने न्यूज 24 को बताया गया कि अभी तक उन्हें कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। जैसे ही नोटिस मिलेगा, उसका जवाब दिया जाएगा।
7 दिनों में जवाब-तलब
नगर आयुक्त के पत्र के आधार पर जारी इस नोटिस में सीता साहू से सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 68(2) के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस स्थिति में राज्य सरकार महापौर के अधिकार और शक्तियां छीनकर किसी अन्य उपयुक्त व्यक्ति को सौंप सकती है। मेयर के पद खाली होने पर उपमहापौर को जिम्मेदारी दी जाती है।
मेयर पर लगे गंभीर आरोप
जांच रिपोर्ट में मेयर पर विभागीय आदेशों की अवहेलना और अनियमित एवं अविधिपूर्ण कार्य करने के आरोप लगाए गए हैं। विभागीय रोक के बावजूद निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव संख्या 123, 124 और 125 लाने और उन्हें पारित कराने की कोशिश। नियमित रूप से निगम बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की बैठक न बुलाना। 8वीं बोर्ड बैठक की आंशिक संचिका को 11 फरवरी को समय से पहले खोल लेना, जिससे संदेह पैदा हुआ। इन आरोपों को आधार बनाकर मेयर को धारा 67(क) के तहत नोटिस जारी किया गया है।
पार्षदों की भी शिकायत
नगर आयुक्त की शिकायत पर बनी जांच समिति के दौरान कई पार्षदों जैसे विनय कुमार पप्पू, गीता देवी, डॉ. आशीष सिन्हा, डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी ने भी महापौर के खिलाफ विभाग को लिखित शिकायत दी थी। उनका आरोप था कि मेयर नियमों की अनदेखी कर निगम को मनमाने तरीके से चला रही हैं।