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मिलिए बिहार के मिनी कोलकाता से! इस गांव में फूलों की खेती से लखपति बन रहे किसान

Flower Farming In Bihar: बिहार के सीतामढ़ी जिले के बैरहा गांव में फूलों की खेती से यह मिनी कोलकाता बन गया है। यहां के ज्यादातर किसान फूलों की खेती कर रहे हैं।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Nov 18, 2024 14:32
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Flower Farming in bihar
Flower Farming in bihar

Flower Farming In Bihar: बिहार के सीतामढ़ी जिले के बथनाहा प्रखंड का बैरहा गांव फूलों की खेती से मिनी कोलकाता बन गया है। बिहार की यहां बड़ी आबादी फूलों की खेती कर रही है। इससे सीतामढ़ी के लोगों को कोलकता का रास्ता नहीं देखना पड़ रहा है, बल्कि फूल कई जिलों में अपनी खुशबू फैला रही है।

पहले सीतामढ़ी और शिवहर का बाजार फूलों के लिए बंगाल पर निर्भर था। गेंदा के अलग-अलग किस्म, मोगरा, राजनीगंधा की बड़े पैमाने पर खेती होने की वजह से बैरहा गांव को मिनी कोलकाता के नाम से भी जानते हैं।

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यहां के फूलों की डिमांड दरभंगा, मुजफ्फरपुर,मधुबनी, सीतामढ़ी, मोतिहाी, शिवहर और पड़ोसी देश नेपाल तक है। इस गांव का रकवा करीब 40 एकड़ की है, जहां 30 एकड़ में फुल की खेती होती है। किसानों ने बताया कि करीब 10 से 12 साल पहले तक ये लोग आम किसान की तरह पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन, फूलों की खेती का आइडिया पारंपरिक खेती से अलग कर दिया गया।

125 किसान कर रहे हैं फूलों की खेती

गांव के किसान चेरी, गेंदा, चीना, रजनीगंधा और मोगरा की खेती करते है। इस खेती से कम से कम 125 किसान जुड़े हुए हैं, जो फुल की खेती कर लाभ ले रहे हैं। किसान नंदलाल महतो, नवीन कुमार और रमेश महतो समेत आधा दर्जन किसानों ने बताया कि सबसे ज्यादा कमाई लगन और त्योहार में होती है। लगन के समय तो एक मिनट फुर्सत नहीं मिलती है।

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रिश्तेदार या आसपास के गांव के लोग बुलाने पड़ते है। हर घर में फुल की खेती होती है तो सब अपने-अपने माला गूथते हैं। ऐसे में डिमांड ज्यादा होती है तो बाहर से आदमी बुलाकर काम करा लेते है। किसानों ने कहा कि एक बीघा में लागत छोड़कर एक लाख रुपया की बचत हो जाती है, जो सब्जी या अन्य फसल की खेती से अच्छा लाभ देती है।

ऐसे शुरू की थी फूलों की खेती

गांव के किसान पहले पारंपरिक खेती करते थे। इसी बीच गांव के एक किसान को उसके रिलेटिव ने फूलों की खेती के बारे में बताया। पहले किसान ने दो एकड़ में खेती शुरू की और लोगों को भी रोजगार दिया। इसके बाद अन्य किसान भी फूलों की खेती से जुड़े और धीरे-धीरे हर घर के लोग फूलों की खेती करने लगे।

जब लाभ हुआ तो गेंदा के अलग-अलग प्रजाति की खेती करना शुरु की। अब यहां के किसान बंगाल का रास्ता छोड़ रजनीगंधा की भी खेती शुरु कर दी है।

किसानों को प्लाटिंग मटेरियल के रूप में गेंदा फूल के साथ-साथ रजनीगंधा (ट्यूब रोज) के बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे किसान फूल उत्पादन और बेहतर कर सके। किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे। यहां के किसान गेंदा की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। फूलों की खेती करने वाले किसानों का समूह बनाकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभागीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। गेंदे संग रजनीगंधा की खेती हो रही है।

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Written By

Deepti Sharma

First published on: Nov 18, 2024 02:32 PM

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