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बिहार

Bihar: 10 सालों में 20 से 80 प्रतिशत तक पहुंचा संस्थागत प्रसव, टीकाकरण में भी बेहतर सुधार

Bihar news: बिहार की महिलाएं अब काफी जागरूक हो रही हैं। अब प्रसव को लिए महिलाएं घर की बजाय हॉस्पिटल को चुन रहीं हैं। इस गवाही स्वास्थ्य विभाग का डाटा दे रहा है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Jul 6, 2025 21:35

Bihar news: बिहार की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो रहीं हैं। अब महिला घर में बच्चों को जन्म देने की बजाय संस्थागत प्रसव (हॉस्पिटल) पर बच्चे को जन्म दे रही हैं। इससे जच्चा-बच्चा दोनों का जीवन सुरक्षित रहता है। साल 2005 तक राज्य में महज 19.9 फीसदी महिलाएं हॉस्पिटल जाती थीं, अब यह आंकड़ा 80 फीसदी के पार पहुंच गया है।

ऐसे हुआ बदलाव

बिहार में साल 2005 तक राज्य में मात्र 19.9 फीसदी महिलाएं संस्थागत प्रसव (अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव) का विकल्प चुनती थीं। मतलब अधिकांश महिलाएं घर पर प्रसव कराती थीं। इससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा बना रहता था। बाद में जागरूकता अभियानों, जननी सुरक्षा योजना, एम्बुलेंस सेवा, मुफ्त दवाओं और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता मिलने से साल 2019-20 तक यह आंकड़ा बढ़कर 76.2 फीसदी तक पहुंच गया है।

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टीकाकरण अभियान बना जन आंदोलन

टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। साल 2002 में जहां केवल 18 फीसदी बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण मिला था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 90 फीसदी तक पहुंच गया है। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के जीवन की सुरक्षा का प्रमाण है। मिशन इंद्रधनुष, नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर, आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सक्रियता इस कामयाबी की रीढ़ बनी।

बदला बिहार का स्वास्थ्य मॉडल

सीएम नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को प्राथमिकता पर रखा। नए अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का निर्माण हुआ। नर्सों और डॉक्टरों की नियुक्ति भी की गई। आधुनिक जांच सुविधा जैसे बदलाव किए गए।

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First published on: Jul 06, 2025 09:32 PM

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