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Bihar Diwas 2023: कितने साल का हुआ बिहार, दुनियाभर में बिहारियों का क्यों माना जाता है लोहा? जानिए सब कुछ

Bihar Diwas 2023: आज भारत के एक खास राज्य का स्थापना दिवस है। खास हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस राज्य ने देश को कई बड़े नेता और सर्वोच्च पदों पर अधिकारी दिए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार की। अंग्रेजी शासन काल में पश्चिम बंगाल से बिहार और उड़ीसा को […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Mar 22, 2023 11:13
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Bihar Diwas 2023: How old is state, why Biharis are considered iron in the world? know everything

Bihar Diwas 2023: आज भारत के एक खास राज्य का स्थापना दिवस है। खास हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस राज्य ने देश को कई बड़े नेता और सर्वोच्च पदों पर अधिकारी दिए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार की। अंग्रेजी शासन काल में पश्चिम बंगाल से बिहार और उड़ीसा को अलग करके राज्य बनाया गया था। बिहार के स्थापना दिवस (Bihar Diwas 2023) पर राज्य में कई दिनों कर बड़े आयोजन किए जाते हैं। आइए जानते हैं बिहार दिवस के बारे में…।

‘युवा शक्ति बिहार की प्रगति’ है थीम 

जानकारी के मुताबिक 22 मार्च, 1912 को बिहार और उड़ीसा को अलग-अलग राज्यों का दर्जा मिला था। लिहाजा आज बिहार का स्थापना दिवस है। बिहार दिवस 2023, 22 से 24 मार्च तक मनाया जाएगा। इस बार बिहार दिवस की थीम ‘युवा शक्ति बिहार की प्रगति’ विषय पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम में जावेद अली, मैथिली ठाकुर समेत कई लोकप्रिय संगीतकारों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश की जाएंगी।

आज इतने साल का हुआ बिहार

अंग्रेजी हुकूमत काल में बंगाल रियासत से अलग होने के बाद बिहार को राज्य बनाया गया था। इसका गठन 22 मार्च, 1912 को हुआ था। यानी आज बिहार 111 साल का हो चुका है। बताया जाता है कि ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रांत का विभाजन किया था।

राज्य गठन से पहले बिहार बंगाल प्रांत का हिस्सा था, जिसमें वर्तमान पश्चिम बंगाल कहते हैं। तत्कालीन बंगाल प्रांत में बिहार के अलावा झारखंड और उड़ीसा और बांग्लादेश के कुछ हिस्से शामिल थे। हालांकि, बिहार के लोगों ने उस वक्त महसूस किया था कि ब्रिटिश सरकार ने उनकी उपेक्षा की है और उनके साथ भेदभाव किया है।

बिहार ही नहीं दुनिया के हर देश में इसे मनाते हैं बिहारी

बिहार में इस दिन राजकीय अवकाश होता है। राज्य भर में विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन, परेड और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। एक रूप में कह सकते हैं कि यह दिन बिहार के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत के साथ विशिष्ट राज्य के रूप में उनकी पहचान का प्रतीक है। यह कार्यक्रम सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोग भी बड़े जोश के साथ बिहार दिवस मनाते हैं।

बिहार में जन्मे थे देश के पहले राष्ट्रपति 

बता दें कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के रहने वाले थे। उनका जन्म बिहार के विभाजन से पहले वर्ष 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और पारसी के बड़े विद्वान थे। जबकि उनका मां कमलेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं।

राज्य से केंद्र तक पहुंचे बिहार के ये बड़े नेता

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभित शिक्षा बिहार में ही हुई। राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेता भी थे। इनके अलावा जयप्रकाश नारायण, वीपी मंडल, कर्पुरी ठाकुर, नीतिश कुमार भी बड़े नेताओं में शुमार हैं। ललित नारायण मिश्र भी बिहार की राजनीति से केंद्र तक पहुंचे थे। मिश्र इंदिरा गांधी सरकार में रेल मंत्री रहे थे।

नालंदा विश्वविद्यालय ने दुनिया को दिया ज्ञान

शिक्षा की बात करें तो भारत समेत दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने वाला नालंदा विश्वविद्यालय भी बिहार की शान है। इस विश्वविद्यालय को सहसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक भी माना जाता है। बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय को गुप्त वंश के कुमारगुप्त प्रथम ने बनवाया था। गुप्त वंश के पतन के बाद देश के अन्य शासकों ने भी इसे बढ़ाने में सहयोग दिया। महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों ने इसकी देखभाल की।

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First published on: Mar 22, 2023 11:13 AM

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