Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान जारी है। इंडिया गठबंधन बिहार में चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। इंडिया गठबंधन का आरोप है कि किसी के इशारे पर चुनाव आयोग द्वारा व्यापक पैमाने करोड़ों लोगों को वोट डालने से बेदखल करने की तैयारी की जा रही है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों से की मुलाकात
कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एमएल) समेत 11 विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार शाम को चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मतदाता सत्यापन के लिए मांगे गए 11 दस्तावेज ज्यादातर लोगों के पास नहीं हैं। इससे करोड़ों लोग मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। इस फैसले से बिहार के गरीब और दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोगों का वोट डालने का अधिकार खतरे में है।
#WATCH | Delhi | After meeting the Election Commission, RJD MP Manoj Jha says, “…We all have kept the worry of Bihar in front of them…I have handed over to them the letter of the RJD leader Tejashwi Yadav. This is a conspiracy to evict people…If the purpose of any exercise… pic.twitter.com/yzwfZRbVl4
— ANI (@ANI) July 2, 2025
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22 साल में हुए बिहार के चुनाव क्या अवैध थे?
कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के साथ बैठक के दौरान बताया कि बिहार में 2003 में विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था, तब अगला लोकसभा चुनाव एक साल बाद और विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने थे। लेकिन इस बार केवल कुछ महीनों का ही समय है। उन्होंने पूछा कि 2003 के बाद 22 साल में बिहार में हुए सभी चुनाव क्या गलत या अवैध थे?
#WATCH | Delhi | After meeting the Election Commission, Congress leader Abhishek Manu Singhvi says, “Firstly, the last revision was in 2003. For 22 years, more than four of five Bihar elections have happened. Were all those elections faulty?… Secondly the Special Intensive… pic.twitter.com/mKkvvEWs0T
— ANI (@ANI) July 2, 2025
बिहार में 8 करोड़ मतदाता
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत के दूसरे सबसे ज्यादा मतदाता आबादी वाले राज्य बिहार में अगर विशेष गहन पुनरीक्षण करना ही था तो इसकी घोषणा चुनाव से ठीक पहले जून में क्यों की गई। इसे बिहार चुनाव के बाद किया जा सकता था। सिंघवी ने कहा कि बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाता हैं और इतने कम समय में उन सभी का सत्यापन करना बहुत मुश्किल होगा। पहली बार विभिन्न दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिन्हें गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के लिए इतने कम समय में जुटा पाना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा।
आधार कार्ड के बाद अब जन्म-प्रमाण पत्र
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से हर काम के लिए आधार कार्ड मांगा जाता रहा है, लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि अगर जन्म प्रमाण पत्र नहीं होगा तो आपको मतदाता नहीं माना जाएगा। एक कैटेगरी में उन लोगों के माता-पिता के जन्म का भी दस्तावेज होना चाहिए, जिनका जन्म समय 1987-2012 के बीच हुआ होगा। प्रदेश में लाखों-करोड़ गरीब लोग होंगे, जिन्हें इन कागजात को जुटाने के लिए महीनों की भागदौड़ करनी होगी। ऐसे में कई लोगों का नाम ही लिस्ट में शामिल नहीं होगा। कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के कई सारे फैसलों का हवाला दिया।
चुनाव आयोग के नए आदेश पर भी जताई आपत्ति
डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने आयोग में नेताओं के आने की संख्या सीमित करने के चुनाव आयोग के नए आदेश पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को बताया गया कि प्रत्येक पार्टी के अध्यक्ष सहित केवल दो प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस आदेश के कारण जयराम रमेश, पवन खेड़ा, अखिलेश सिंह जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को बाहर इंतजार करना पड़ा। इस दौरान कांग्रेस से संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश, मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा, सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, प्रणव झा, के अलावा राजद सांसद मनोज झा, समाजवादी पार्टी सांसद हरेंद्र मलिक, सीपीआई नेता डी राजा, सीपीआई (एमएल) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य समेत अन्य दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।