(अमिताभ ओझा )
Bihar Constable Exam : बिहार में सिपाही के 21 हजार पदों के लिए खेले गए करोड़ों के खेल का सच सामना आ रहा है। इस परीक्षा के प्रश्नपत्रों को प्रिंटिंग प्रेस से ही दो करोड़ रूपए में माफियाओं ने लीक करा लिया था। मामले की जांच कर रही, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि केंद्रीय चयन पर्षद की ओर से 1 अक्टूबर को ली गई, परीक्षा को तो रद्द किया ही गया, इसके अलावा बाकि के दो चरणों 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया है।
विपक्ष हुआ हमलावर
सरकार के इस फैसले को लेकर बिहार की सियासत गर्म हो गई है। विपक्षी दल सीधे-सीधे इसे सरकार की नाकामी का नतीजा बता रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह ने पुलिस भर्ती परीक्षा रद्द होने पर सरकार पर हमला बोला है। आरसीपी सिंह ने कहा है कि किसी भी परीक्षा का पेपर लीक होना, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए शर्म की बात है। नीतीश कुमार न सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री हैं बल्कि बिहार के गृह मंत्री भी हैं। ऐसे में पुलिस विभाग की परीक्षा का पेपर लीक होना उनके लिए काफी शर्मिंदगी की बात है। आगे उन्होंने कहा, बेरोजगार बच्चे सालभर तैयारी करते हैं और बाद में परीक्षा रद्द हो जाती है। उन्होंने बिहार सरकार से सवाल पूछते हुए कहा आखिर राज्य सरकार की क्या व्यवस्था है कि परीक्षा का पेपर लीक हो जाता है?
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इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस से की गई चीटिंग
बता दें कि 1 अक्टूबर को हुई, सिपाही की परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। 21 जिलों के 67 परीक्षा केंद्रों पर 148 परीक्षार्थियों के पास से इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस, कागज और मोबाइल में आंसर शीट बरामद की गई, हालांकि 2 अक्टूबर तक केंद्रीय चयन पर्षद के अध्यक्ष एस के सिंघल यह मानने को तैयार नहीं थे कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी हुई है, लेकिन ईओयू के पास इस बात के पुख्ता सबूत थे कि पेपर लीक हुए हैं, जिसके बाद 3 अक्टूबर को परीक्षा रद्द की गई।
दो करोड़ में प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ प्रश्नपत्र का सेट
जांच में पता चला है कि प्रश्न पत्र के सेट को प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक कराया गया था। सॉल्वरो से हल कराने के बाद अभ्यार्थियों के व्हाट्सअप पर हाथ से लिखी आंसर की(KEY) भेजी गईं थीं। 1 अक्टूबर को दूसरी पाली की परीक्षा शुरू होने से दो ढ़ाई घंटे पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा था, फिलहाल प्रिंटिंग प्रेस पर कार्रवाई की गई है। यह भी सामने आया कि हर परीक्षार्थी से 12 से 15 लाख में सौदा तय हुआ था, परीक्षार्थियों से चार-पांच लाख रूपए वसूल किए गए। वहीं बिहार से ज्यादा बाहरी प्रदेशों के अभ्यार्थियों को परीक्षा माफियाओं ने शिकार बनाया। जांच में यह भी सामने आया ही कि बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और पंजाब के परीक्षा माफिया बहुत सक्रिय थे, वहां उन लोगों ने अभ्यार्थियों से बड़ी उगाही की।
फिर विवादों में पूर्व डीजीपी एस के सिंघल
पूर्व डीजीपी एस के सिंघल परीक्षा रद्द होने के बाद एक बार फिर विवादों में आ गए हैं, फिलहाल एस के सिंघल, सिपाही भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष हैं। पिछले वर्ष ही दिसंबर में वे डीजीपी से रिटायर हुए थे, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय चयन पर्षद का अध्यक्ष बनाया गया था। डीजीपी के रूप में भी उन्हें नीतीश कुमार ने एक्सीटेंशन दिया था, बता दें कि उन पर कई आरोप भी लगे थे, यही वजह है कि परीक्षा रद्द होने के बाद उन पर सियासी हमले हो रहे हैं।