Bihar Chunav 2025 Model Code of Conduct Updates: बिहार विधानसभा चुनावों के लिए मुख्य चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है. सीईसी (Chief Election Commissioner Of India) ज्ञानेश कुमार ने घोषणा करते हुए बताया कि 6 और 11 नवंबर को राज्य में 2 चरणों में वोटिंग होगी. इसके बाद को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे. आइए जानते हैं आचार संहिता के बारे में विस्तार से.
आचार संहिता (MCC) क्या है?
आचार संहिता में नियम होते हैं जिनका पालन चुनाव के समय करना आवश्यक होता है. इसमें जरूरी नियमों और दिशानिर्देशों का सेट होता है, जिन्हें राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकार को चुनाव प्रक्रिया के दौरान पालन करना अनिवार्य होता है. इसे अंग्रेजी में MCC यानी मॉडल कोड ऑफ कनडक्ट कहते हैं. इसमे पार्टियों के पास अधिकार होता है कि यदि कोई विवाद होता है तो कैसे पर्यवेक्षक आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकता है.
7 प्वाइंट्स में समझें आचार संहिता के बारे में
1.आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी तरह का कोई सार्वजनिक उद्घाटन और शिलान्यास कार्य नहीं होता है. सरकार या जनप्रतिनिधि किसी तरह क उद्घाटन को नहीं कर सकते हैं.
2.आचार संहिता के नियमों के अनुसार, कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने के बाद नए कामों की स्वीकृति सरकार द्वारा नहीं ली जाती है. राज्य सरकार किसी भी योजना का ऐलान नहीं कर सकती है.
3.आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य में सरकारी दौरे नहीं आयोजित होंगे.
4.कोड ऑफ कंडक्ट जारी होने के बाद सरकारी वाहनों पर सायरन नहीं लगाए जाएंगे. यदि किसी वाहन पर सायरन लगा है तो उसे ढक दिया जाएगा. इसके साथ ही सरकार की उपलब्धि वाले किसी भी होर्डिंस को राज्य से हटा दिया जाता है.
5.आचार संहिता लागू होने पर किसी भी प्रकार का कोई सरकारी विज्ञापन नहीं दिया जा सकेगा. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म में दिए गए सरकारी विज्ञापनों को भी रोक दिया जाता है.
6.रिश्वत और प्रलोभन जैसे काम पर नजर रखना तथा पकड़े जाने पर सजा दी जाती है. आचार संहिता के लागू होते ही कोई भी रिश्वत देता है तो उससे अधिकारियों को बचाना होता है और ऐसा किया जाता है तो शख्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है.
7.आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य की सारी ताकत चुनाव आयोग के पास चली जाती है. राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों से निजी जीवन के किसी भी पहलू पर टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी जाती है. जुलूस निकालने से पहले उसकी पूरी जानकारी और अनुमति पुलिस से लेनी होती है.
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