बिहार की सियासत में इन दिनों परिवारवाद बनाम “दामादवाद” की दिलचस्प जंग देखने को मिल रही है। एक ओर जहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी, पर परिवारवाद का आरोप लगाते नहीं थकते हैं। वहीं दूसरी ओर आरजेडी ने अब एनडीए पर उसी तेवर में पलटवार किया है। हाल ही में आरजेडी की ओर से पटना में कई जगह पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए हैं जिनमें एनडीए नेताओं और उनके दामादों को निशाने पर लिया गया है। एक पोस्टर पर चुटीले अंदाज में लिखा है कि एनडीए मतलब नेशनल दामाद आयोग।
पोस्टर में 3 प्रमुख चेहरों को निशाना बनाया गया है
- केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और उनके दामाद देवेंद्र मांझी।
- राज्य मंत्री अशोक चौधरी और उनके दामाद सायन कुणाल।
- दिवंगत नेता रामविलास पासवान और उनके दामाद मृणाल।
इन पोस्टरों के जरिए आरजेडी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि अगर उनके परिवार में रिश्तेदार राजनीति में हैं तो वही स्थिति एनडीए खेमे में भी है-फर्क बस यह है कि वहां “दामाद” फ्रंट पर हैं। इस राजनीतिक कटाक्ष की शुरुआत आरजेडी की ओर से एक वीडियो जारी हुई थी, जिसमें उन्होंने एनडीए नेताओं के दामादों की राजनीतिक भूमिका को उजागर किया।
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— Deepti Sharma (@DeeptiShar24006) June 21, 2025
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राजनीति में परिवारवाद हमेशा से रहा एक बड़ा मुद्दा
पटना के प्रमुख चौक-चौराहों और व्यस्त सड़कों पर ये पोस्टर लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। राजनीति में परिवारवाद हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है, खासकर भाजपा द्वारा इसे बार-बार उठाया जाता रहा है। लेकिन जब सत्ता पक्ष के नेताओं के करीबी रिश्तेदार राजनीति या प्रशासनिक पदों पर नजर आते हैं, तो विपक्ष को हमला करने का मौका मिल जाता है। आरजेडी का यह नया दांव दिखाता है कि अब विपक्ष भी संवाद और प्रचार के स्तर पर नए-नए प्रयोग कर रहा है। “दामादवाद” शब्द के जरिए पार्टी ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सत्ता पक्ष पर वही आरोप लग सकते हैं जो उन पर लगाए जाते हैं।
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