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गोवंश में फैले ‘लंपी वायरस’ को लेकर पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने की समीक्षा बैठक, कहा- बीमारी वाकई ही खतरनाक है

जयपुर: राजस्थान में इन दिनों ‘लंपी वायरस’ का कहर बरप रहा है। लंपी बीमारी प्रदेश के 11 जिलों में फैल चुकी है। जिनमें जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर, नागौर में यह वायरस ज्यादा कहर बरपा रहा है। अब तक 50 हजार से ज्यादा पशु संक्रमित हो चुके हैं। इस बीमारी से लगभग तीन हजार से […]

Edited By : Nirmal Pareek | Updated: Aug 3, 2022 16:59
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जयपुर: राजस्थान में इन दिनों ‘लंपी वायरस’ का कहर बरप रहा है। लंपी बीमारी प्रदेश के 11 जिलों में फैल चुकी है। जिनमें जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर, नागौर में यह वायरस ज्यादा कहर बरपा रहा है। अब तक 50 हजार से ज्यादा पशु संक्रमित हो चुके हैं। इस बीमारी से लगभग तीन हजार से ज्यादा गाय-भैसों की मौत हो चुकी है।

वहीं गोवंश में फैली लंपी बीमारी को लेकर पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने की समीक्षा बैठक की। उन्होंने समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि यह बीमारी वाकई ही खतरनाक है,गायों में यह बीमारी ज्यादा है,भैंसों में अभी कोई बीमारी की शिकायत नहीं मिली है। लेकिन विभाग मुस्तैदी से जुटा हुआ है। दवाइयां खरीदने के लिए आदेश दे दिए गए हैं।

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कितना खतरनाक है लंपी वायरस?

लंपी वायरस से संक्रमित मवेशियों को बुखार हो जाता है। उनके मुंह से लार निकलने लगता है और त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं। मवेशियों का खाना-पीना भी छूट जाता है और मौत हो जाती है। टीकाकरण इस बीमारी से बचने का सबसे मजबूत हथियार है।

क्या है लम्पी बीमारी ?

लम्पी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है। इससे पशुओं में तमाम लक्षणों के साथ उनकी मौत भी हो सकती है। यह बीमारी तेजी से मवेशियों में फैल रही है। इसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ (एलएसडीवी) कहते हैं। दुनिया में मंकीपॉक्स के बाद अब यह दुर्लभ संक्रमण वैज्ञानिकों की चिता का कारण बना हुआ है। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को टीका लगाया जा रहा है।

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ये सावधानियां बरतें

डॉक्टरों ने अनुसार लंपी स्किन डिजीज मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है। दूषित पानी और चारे के कारण पशुओं को यह संक्रमण अपनी चपेट में लेता है। अगर किसी पशु में इस बीमारी के लक्षण दिखें तो अन्य गाय-भैंसों से अलग कर दें। किसी अन्य पशु को उनका झूठा पानी या चारा न खिलाएं। साथ ही पशु रखने वाले स्थान पर साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें।

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Nirmal Pareek

First published on: Aug 03, 2022 04:59 PM
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