केंद्र सरकार के मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत फिशरीज विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत तटीय गांवों में 350 सागर मित्र तैनात करने के आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। राज्यसभा में सेंट्रल फिशरीज, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने इस बारे में पूरी जानकारी दी है। राज्य सरकार के अनुसार, फिलहाल 12 जिलों में 317 सागर मित्र काम कर रहे हैं, जिनमें श्रीकाकुलम में 55 और विजयनगरम में 11 सबसे निचले पायदान पर हैं।
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre for Ocean Information Services) आंध्र प्रदेश के समुद्री मछुआरों को मछली पालन क्षेत्र (PFZ) से जुड़ी सलाह देकर सहायता कर रहा है।
कैसे मिलेगी जानकारी?
ये सलाह गैर-सरकारी संगठनों और एनएबीएचएमआईटीआरए मोबाइल ऐप के जरिए शेयर की जाती हैं। इसके अलावा, मछुआरों को वॉयस मैसेज और आईवीआरएस के जरिए मछली पालन क्षेत्र के बारे में अपडेट मिलते हैं। अलग-अलग जिलों के 1.23 लाख से ज्यादा मछुआरे, जिनमें काकीनाडा 26,571 के साथ टॉप पर है और इस पहल से लाभ ले रहे हैं।
पीएमएमएसवाई के तहत, मछुआरों को एक समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) द्वारा कवर किया जाता है, जिसमें मृत्यु या स्थायी पूर्ण विकलांगता (Permanent Total Disability) के लिए 5 लाख रुपये और स्थायी आंशिक विकलांगता (Permanent Partial Disability) के लिए 2.5 लाख रुपये का बीमा दिया जाता है।
क्या है प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना ?
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Prime Minister Matsya Sampada Yojana) भारत सरकार की एक ऐसी योजना है, जिसके तहत मछली पालन को बढ़ावा दिया जाता है। इसका मकसद मछली पालन क्षेत्र का सही तरह से विकास करना है। सरकार ने इस योजना को 10 सितंबर 2020 को शुरू किया था। इसके बाद यह योजना 2020-21 से लेकर 2024-25 तक 5 सालों के लिए लागू रही। इस योजना का टोटल इन्वेस्टमेंट 20050 करोड़ रुपये है।
इसका लक्ष्य ‘नीली क्रांति’ (Blue Revolution) के जरिए मछली का प्रोडक्शन और मछुआरों की इनकम को डबल करने काम किया है। इस योजना से फिश वेंडर्स, मछुआरों और माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज को बनाने के लिए 6000 करोड़ के निवेश के साथ पीएमएमएसवाई के अंतर्गत एक नई उप-योजना का भी ऐलान किया गया है।
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