अमित कसाना, नई दिल्ली: दिल्ली एयरपोर्ट पर चलने वाले 1000 डीजल वाहनों में एयरपोर्ट प्रशासन नया डिवाइस लगा रहा है। दिल्ली एयरपोर्ट प्रशासन डायल का दावा है कि यह अपनी तरह का पहला IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) डिवाइस होगा। यह डिवाइस Artificial intelligence और machine learning के माध्यम से एयरपोर्ट पर वाहनों में सिक्योरिटी बढ़ाने, पॉल्यूशन कम करने, वाहनों की मैनटेनेंस कम करने, रिस्पोंस टाइम सुधारने और फ्यूल का इस्तेमाल कम करने में मदद करेगा।
परमिट एरिया से बाहर जाने पर अलर्ट
इस डिवाइस से एयरपोर्ट पर चलने वाली मोटरसाइकिल, कार, टैंपो व टैक्टर आदि की लोकेशन ट्रैक करने में भी मदद मिलेगी। कई फेज में इस IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) डिवाइस को लगाया जाएगा। अगस्त के अंत तक सभी 1000 वाहनों में इसे लगा लिया जाएगा। इस डिवाइस के लगने के बाद अगर ड्राइवर वाहन को तय स्पीड से अधिक चलाता है। परमिट एरिया से अलग कहीं लेकर जाता है तो कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी तुरंत सामने लगी स्क्रीन में दिख जाएगी। अलर्ट जारी होगा।
एसी बंद या खुला तक पता चल जाएगा
एयरपोर्ट प्रशासन का दावा है कि इस डिवाइस के सभी वाहनों में लगने के बाद एयरपोर्ट पर चलने वाले वाहनों पर खर्च होने वाला 32 फीसदी फ्यूल बच सकेगा। इसके अलावा इस डिवाइस के लगने के बाद वाहन की गति से संबंधित सभी डेटा, जैसे समय, दूरी, ईंधन की बचत वाहन, यदि वाहन कहीं खड़ा है या चल रहा है , वाहनों का कोई अनधिकृत उपयोग तो नहीं हो रहा, यहां तक की एसी बंद है या खुला इसका भी पता चल जाएगा। इससे एक साल में 882200 किलो कार्बन उत्सर्जन कम होगा।