1976 का साल। यह वो दौर था, जब कैरेबियाई गेंदबाजों की रफ्तार से दुनियाभर के बल्लेबाज कांपते थे। वेस्टइंडीज के फास्ट बॉलर्स को मौत का सौदागर कहा जाता था। हाथ से गेंदें नहीं, बल्कि आग का गोला निकलता था। बल्लेबाज अपना विकेट बचाने से ज्यादा ध्यान अपनी शरीर को बचाने में देते थे। क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्टइंडीज का विश्व क्रिकेट में अलग ही दबदबा था। दुनिया की हर बड़ी टीम लॉयड की सेना के आगे घुटने टेक देती थी। इसी समय पर भारतीय टीम वेस्टइंडीज से दो-दो हाथ करने के लिए उनकी सरजमीं पर पहुंची थी।
पहला टेस्ट गंवाने के बाद टीम इंडिया ने तीसरे मुकाबले में शानदार वापसी करते हुए कैरेबियाई टीम को धूल चटा दी थी। अब बारी थी चौथे और आखिरी टेस्ट मैच की। कप्तान क्लाइव लॉयड और कैरेबियाई टीम इस हार को पचा नहीं पा रही थी। ऐसे में सीरीज को जीतने के लिए वेस्टइंडीज के बॉलर्स ने जानलेवा प्लान तैयार किया और भारत के बल्लेबाजों के शरीर पर अनगित वार किए। हाल यह हुआ कि तीन इंडियन बैटर्स को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और जो बच गए उन्होंने बैटिंग करने से ही मना कर दिया।
जान के भूखे थे कैरेबियाई गेंदबाज
चौथे टेस्ट की शुरुआत सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ ने शानदार की और पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। टेस्ट का पहला दिन भारत के नाम रहा और सिर्फ एक विकेट खोकर टीम इंडिया ने 175 रन बनाए। हालांकि, इसके बाद बचे हुए दिनों में भारतीय बल्लेबाजों को जो हश्र हुआ, वो रूह कांपा देने वाला था। कैरेबियाई गेंदबाजों ने इंडियन बैटर्स के स्टंप को छोड़कर उनके शरीर को निशाना बनाना शुरू कर दिया। वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के हाथ से निकल रही हर गेंद को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह भारतीय बल्लेबाजों की जान के भूखे हैं। कोई गेंद सिर पर आकर लग रही थी, तो कोई छाती पर निशान बना रही थी। ऐसी ही एक गेंद अंशुमन गायकवाड़ के कान पर आकर लगी और वह धड़ाम से 22 गज की पिच पर गिर पड़े। अंशुमन को बल्लेबाजी छोड़कर अस्पताल जाना पड़ा।
इसके बाद कैरेबियाई गेंदबाजों का अगला शिकार बने बृजेश पटेल। माइकल होल्डिंग के हाथ से निकली गेंद सीधे बृजेश के मुंह पर आकर लगी और उन्हें भी टांके लगवाने के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। गुडप्पा विश्वनाथ तीसरे बल्लेबाज बने, जो वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के कहर से घायल होकर अस्पाल पहुंचे।
7. Gundappa Viswanath – 112 vs West Indies, Port of Spain, 1976 (India chased down a record 403 to win) pic.twitter.com/96Ecotdnut
— Vertigo_Warrior (@VertigoWarrior) December 28, 2022
घोषित करनी पड़ी पारी
जान लेने पर उतारू कैरेबियाई गेंदबाजों से अपने बल्लेबाजों को बचाने के लिए भारतीय टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी को घोषित करने का फैसला लिया। कहा जाता है कि भारतीय ड्रेसिंग रूम में मौजूद हर खिलाड़ी वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के इस कहर से सहम गया था और मैदान पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। भारत ने 309 रन पर अपनी पारी को घोषित किया और इसके जवाब में वेस्टइंडीज ने 391 रन बनाए। कैरेबियाई टीम को 85 रन की लीड मिली। दूसरी इनिंग में वेस्टइंडीज जब बल्लेबाजी करने उतरी, तो कप्तान बिशन बेदी और चंद्रशेखर भी चोटिल हो गए।
I remember watching this during the school holidays and it terrified me … 47 years later and it still makes me wince, especially the bouncer from Michael Holding to Brian Close on 38 seconds, England v West Indies, 3rd Test, Old Trafford, July 10th 1976 pic.twitter.com/ny08n8QiUq
— Historic Cricket Pictures (@PictureSporting) July 11, 2023
बैटिंग करने उतरे सिर्फ पांच बल्लेबाज
टीम इंडिया के तीन खिलाड़ी अस्पताल में थे और दो फील्डिंग करते हुए इंजर्ड हो गए थे। हाल यह हुआ कि दूसरी पारी में भारत की ओर से बल्लेबाजी करने सिर्फ पांच बल्लेबाज उतरे। भारतीय टीम 97 रन ही बना सकी और इस वेस्टइंडीज को मिला सिर्फ 13 रन का टारगेट। कैरेबियाई टीम ने इस लक्ष्य को महज 1.5 ओवर में चेज कर लिया।