---विज्ञापन---

अरशद नदीम: पिता मजदूर, चंदे से खरीदा भाला, अब फाइनल में नजरें नीरज को हराने पर

Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में अरशद नदीम ने 86.59 मीटर की थ्रो के साथ ओलंपिक फाइनल में लगातार दूसरी बार जगह बनाई है। इसी बीच उनके पिता मुहम्मद अशरफ ने उनके संघर्ष की कहानी को बताया है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Aug 8, 2024 15:28
Share :

Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में भाला फेंक इवेंट का फाइनल मुकाबला आज खेला जाना है। इसमें सभी की निगाह भारत के नीरज चोपड़ा पर लगी हुई है। क्वालिफिकेशन राउंड में नीरज चोपड़ा ने कमाल करते हुए पहली ही कोशिश में 89.34 मीटर थ्रो किया था और वो ग्रुप बी में टॉप पर थे। इस दौरान एक और खिलाड़ी ने सभी का ध्यान खींचा है और वो हैं पाक‍िस्‍तान के धुरंधर जेवल‍िन थ्रोवर अरशद नदीम। अरशद नदीम क्वालिफिकेशन राउंड में तीसरे स्थान पर थे। टोक्यो में भले ही वो नीरज से हार गए हो लेकिन वो इस बार कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहेंगे। अरशद ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा संघर्ष किया है। आप भी उनकी कहानी जानकर हैरान रह जाएंगे।

पिता थे मजदूर

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अरशद नदीम ने बताया था कि उनके पिता एक मजदूर थे। वो अपने पिता के साथ पाकिस्तान के मशहूर खेल नेजाबाजी को देखने जाते थे। इस खेल में कई खिलाड़ी हाथ में लंबी सी स्टिक से जमीन पर रखे एक निशान को उठाते हैं। शुरू में नदीम को यह खेल इतना पसंद आ गया था कि वो इस खेल का अभ्यास करने लगे। इस दौरान उन्होंने टेप बॉल क्रिकेट में भी हाथ अजमाया था।

यह भी पढ़ें- विनेश संन्यास का अपना फैसला बदले, 2028 ओलंपिक की तैयारी करेः महावीर फोगाट का बड़ा बयान

इसी बीच उनकी दिलचस्पी जैवलिन थ्रो में बढ़ गई। नेजाबाजी की ट्रेनिंग से उन्हें काफी ज्यादा फायदा हुआ। स्कूल के एथलेटिक्स इवेंट के दौरान उन्होंने अपने थ्रो से सभी को हैरान कर दिया था। उनकी प्रतिभा को उनके स्कूल के कोच रशीद अहमद सकी ने पहचाना। उन्होंने रशीद अहमद सकी की देखरेख में अपनी ट्रेनिंग शुरू की।

सरकारी नौकरी के लिए की मेहनत

अरशद नदीम का परिवार काफी बड़ा था। वो आठ भाई-बहनों में तीसरे नंबर थे। घर के हालात ठीक ना होने के बाद भी उनके पिता ने अपने बेटे के खाने में कोई कमी नहीं होने दी। उनकी कोशिश हमेशा यही रही कि उनके बेटे को दूध और घी मिलता रहे। 400-500 रुपये की मजदूरी के बाद भी उन्होंने अरशद का अच्छे से ख्याल रखा। घर की आर्थिक हालात को देख कर नदीम का सपना एक सरकारी नौकरी हासिल करने का था।

 

ऐसे मिला मौका

सरकारी नौकरी के लिए उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा के अंडर पाकिस्तान वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी के लिए ट्रायल्स दिए थे। इस दौरान पांच बार पाकिस्तानी नेशनल चैम्पियन और पूर्व एशियन मेडलिस्ट जैवलिन थ्रोअर सैय्यद हुसैन बुखारी ने उन्हें देखा। सैय्यद हुसैन बुखारी ने केवल उन्हें नौकरी दिलाई बल्कि उनके करियर को एक अलग ही दिशा में मोड़ दिया।

ये भी पढ़ें;- विनेश फोगाट के नाम दर्ज हैं ये बड़ा रिकॉर्ड, तोड़ना किसी महिला पहलवान के लिए होगा मुश्किल

चंदे में दिए हैं लोगों ने पैसे

अपने बेटे की सफलता को लेकर नदीम के पिता ने कहा, ‘लोगों को नहीं पता है कि वो इस मुकाम पर कैसे पहुंचे हैं। उसकी ट्रेनिंग के लिए दोस्‍त, गांव के लोग और रिश्तेदार ने पैसे दिए हैं। जब उसने फाइनल में जगह बनाई थी तो गांव में जश्न का माहौल था। अगर वो ओलंपिक पदक जीत गया तो यह हमारे और हमारे गांव के लिए एक बहुत बड़ा पल होगा।

 

HISTORY

Written By

News24 हिंदी

First published on: Aug 08, 2024 02:34 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें