Who is Sheetal Devi: कहते हैं कमी शरीर में नहीं, सोच में होती है. भारत की बेटी शीतल देवी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. हाथ न होने के बावजूद उन्होंने पैरों से तीरंदाजी सीखी और अब पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हौसलों के सामने कोई लाचारगी बड़ी नहीं होती. आज वह भारत की पहली पैरा आर्चरी वर्ल्ड चैंपियन बनी हैं. ये वही शीतल देवी हैं, जिन्होंने बचपन से दोनों हाथ न होने के बावजूद सपनों को थामे रखा और आज वही सपने उन्हें दुनिया की शिखर पर ले आए. महज 18 साल की उम्र में शीतल देवी ने ये साबित कर दिया कि जीत हथेलियों से नहीं, हौसलों से लिखी जाती है. सबसे पहले ये जानेंगे कि आखिर शीतल ने किया क्या है, ये भी जानेंगे कि छोटे से गांव से लेकर दुनिया के शिखर वाला सफर उन्होंने कैसे तय किया.
आखिर शीतल देवी ने क्या कर दिखाया?
शीतल देवी ने चीन के ग्वांग्जू में आयोजित वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप 2025 में कमाल किया. है. महिलाओं की कंपाउंड व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल में उन्होंने तुर्की की विश्व नंबर-1 तीरंदाज ओजनूर क्यूर गिर्दी को 146-143 से मात देकर गोल्ड मेडल जीता. इसके साथ ही उन्होंने 2023 के फाइनल का बदला ले लिया, जहां गिर्डी ने शीतल को 140-138 से हराया था, इस बार शीतल ने कमाल का प्रदर्शन कर बाजी मारी. यह सिर्फ जीत नहीं थी, बल्कि दुनिया में पहली बार बिना हाथों वाली पैरा आर्चर का विश्व चैंपियन बनने का सपना पूरा हुआ. यही वजह है कि शीतल देवी के नाम की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. फर्श से अर्श तक का सफर वाकई कमाल का रहा है.
SHEETAL DEVI IS A WORLD CHAMPION! 🇮🇳 💪
— ESPN India (@ESPNIndia) September 27, 2025
18-year-old Indian armless archer Sheetal Devi bags the women’s compound individual category gold at the Para World Archery Championship 🙌
She defeated Turkiye's world No.1 Oznur Cure Girdi 146-143 to win the gold 🔝
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पिता किसान थे, मां बकरियां चराती थी, बेटी बनी वर्ल्ड चैंपियन
शीतल देवी एक पैरा तीरंदाज हैं, जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपनी पहचान बनाई है. उनका जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के लोइधर गांव में हुआ. पिता किसान थे, जबकि मां बकरियां चराती थीं. बचपन से ही गरीबी, दूर-दराज का इलाका और फिर हाथ न होना ये तीन चुनौतियां किसी भी बच्चे का आत्मविश्वास तोड़ सकती थीं, लेकिन शीतल ने हिम्मत नहीं हारी. जन्मजात फोकोमेलिया नाम की बीमारी के चलते उनके दोनों हाथ नहीं थे, लेकिन शीतल के सपनों की उड़ान बहुत बड़ी थी, इन्हीं सपनों ने उन्हें नई पहचान दी है.
वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप 2025 में शीतल देवी ने रचा इतिहास, दीप्ति जीवनजी ने भी जीता मेडल
पैरों से लिख दी तीरंदाजी की कहानी
तीरंदाजी ऐसी कला है, जिसमें हाथों का होना जरूरी है. बिना हाथ के यह संभव नहीं लगती, लेकिन शीतल ने ना इसे संभव किया बल्कि एक मिसाल बन गईं. उनकी तीरंदाजी का तरीका दुनिया के लिए अद्भुत है. वह कुर्सी पर बैठकर अपने दाहिने पैर से धनुष उठाती हैं, फिर दाहिने कंधे से डोरी खींचती हैं और जबड़े से तीर छोड़ती हैं. यह देखकर हर कोई हैरान रह जाता है कि जो काम हाथों से भी आसान नहीं, उसे शीतल ने पैरों और हौसले से मुमकिन कर दिखाया. उन्होंने अमेरिकी पैरा आर्चर मैट स्टट्ज़मैन की तकनीक से प्रेरणा लेकर यह कला सीखी.
SHEETAL DEVI IS WORLD PARA CHAMPION! 🥇🇮🇳
— World Archery (@worldarchery) September 27, 2025
18-year-old beats the reigning champion Oznur Cure in Gwangju.#WorldArchery #ParaArchery pic.twitter.com/d5jDmdYkhq
15 साल की उम्र में देखा धनुष बाण, ऐसे बदल गई शीतल की किस्मत
आपको जानकर हैरानी होगा कि 18 साल की शीतल ने 15 साल की उम्र तक धनुष-बाण तक नहीं देखा था, लेकिन उनके गांव में जब लोगों ने उन्हें बिना हाथों के पेड़ों पर चढ़ते देखा, तो उनकी ताकत पहचान ली. साल 2022 में किसी की सलाह पर शीतल कटरा के श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर पहुंचीं, जो उनके घर से 200 किलोमीटर दूर था. यहां उनकी मुलाकात कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान से हुई. इन दोनों ने न सिर्फ शीतल को तीरंदाजी से परिचित कराया, बल्कि उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कराई, यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई.
SHEETAL DEVI IS WORLD CHAMPION 🏆🥺 pic.twitter.com/1JpLhMnnLP
— The Khel India (@TheKhelIndia) September 27, 2025
शीतल देवी की उपलब्धियों पर एक नजर
शीतल देवी ने कड़ी मेहनत के दम पर आर्चरी में महारत हासिल कर ली. महज कुछ ही सालों में उन्होंने वो कमाल कर दिया, जिसका हर कोई सपना देखता है. इस पैरा एथलीट ने साल 2023 के एशियाई पैरा खेलों में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर जीता. इसके बाद वह महिला कंपाउंड ओपन वर्ग में विश्व रैंकिंग नंबर-1 पर पहुंचीं. साल 2024 पेरिस पैरालंपिक में उन्होंने टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता था. अब अब 2025 में वह भारत की पहली इंडिविजुअल पैरा आर्चरी वर्ल्ड चैंपियन बन गई हैं. उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.
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— The Khel India (@TheKhelIndia) September 27, 2025
– Paris Paralympics & World Champion Oznur Cure holding the medal for new World Champion Sheetal Devi, and the group hug at the end! ❤️
Pure Goosebumps! 🥺 pic.twitter.com/abEji45hTZ
करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बनी शीतल देवी
शीतल देवी ने यह साबित किया है कि हौसले हाथों से बड़े होते हैं, जिन हाथों की कमी ने उन्हें अलग बना दिया था, उसी कमी को उन्होंने अपनी ताकत में बदल दिया. पैरों से तीरंदाजी कर उन्होंने दुनिया को दिखाया कि ‘परों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है’. भारत की इस बेटी की कहानी करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा है.