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Solar Flare Video: सूरज से फूटी सौर ज्वाला, धरती चपेट में आने से बची, आधी दुनिया में हुआ ब्लैकआउट

Year 2024 First Solar Flare Eruption: सूर्य से जोरदार ज्वाला विस्फोट हुआ है, जिसकी चपेट में आने से धरती बच गई, लेकिन दुनिया पर प्रभाव पड़ा। इस विस्फोट का वीडियो नासा ने कैप्चर किया है।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Feb 10, 2024 09:33
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Solar Flare Explosion
सूर्य से जोरदार ज्वाला विस्फोट के कारण आसपास चुंबकीय क्षेत्र बन गया।

Year 2024 First Solar Flare Eruptted: सूर्य से एक बार फिर सौर विस्फोट हुआ है, जिसकी वीडियो NASA ने टेलीस्कोप से कैप्चर की। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह साल 2024 का पहला सौर विस्फोट है, जिसके कारण शुक्रवार को दुनिया के कई हिस्सों में रेडियो ब्लैकआउट हो गया।

विस्फोट 9 फरवरी को सुबह करीब 8 बजकर 10 मिनट हुआ, लेकिन सौभाग्य की बात यह रही कि धरती इसकी चपेट में आने से बच गई, क्योंकि धरती इस सौर ज्वाला की सीधी फायरिंग लाइन में नहीं थी, लेकिन इस सौर ज्वाला के कारण पूरे दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिणी अटलांटिक में शॉर्टवेव रेडियो कम्युनिकेशन बाधित हो गया।

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सनस्पॉट सूर्य के आगे निकलने के कारण धरती बची

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सौर ज्वाला सनस्पॉट AR3576 से फूटी। यह सनस्पॉट 5 फरवरी को M कैटेगरी की सौर ज्वाला और प्लाज्मा विस्फोट के साथ बना था, लेकिन यह सनस्पॉट 8 फरवरी सूर्य से आगे बढ़ गया, जिससे पृथ्वी इस सनस्पॉट की सीधी फायरिंग लाइन से बाहर हो गई।

सौर भौतिक विज्ञानी कीथ स्ट्रॉन्ग ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट में लिखा कि सौर ज्वाला के साथ कोरोनल मास इजेक्शन (CME) भी हुआ, जिससे सूर्य के आसपास प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र बना, लेकिन अगर यह CME पृथ्वी से टकराता है तो धरती के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा करता और भू-चुंबकीय तूफान का कारण बनता, जिससे पृथ्वी के उपग्रहों की परिक्रमा पर असर पड़ता।

 

8 मिनट में धरती तक पहुंची सौर विकिरणें

वैज्ञानिकों के अनुसार, सनस्पॉट के अभी सूर्य के दक्षिण हिस्से में है तो यह संभावना नहीं है कि सनस्पॉट AR3576 से कोई CME सीधे पृथ्वी पर हमला करेगा। इसके धरती के नीचे से गुजरने की अधिक संभावना है। बेशक हम सौर ज्वाला की सीधी फायरिंग लाइन में नहीं हो सकते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रभावित नहीं होंगे।

विस्फोट के समय एक्स-रे की तेज़ पल्स और पृथ्वी की ओर आने वाली अत्यधिक पराबैंगनी विकिरण के कारण रेडियो ब्लैकआउट हुआ। प्रकाश की गति से दौड़ रहीं सौर विकिरणें केवल 8 मिनट में पृथ्वी पर पहुंच गई और पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत थर्मोस्फीयर से टकराकर उस हिस्से में सूर्य से प्रकाशित एरिया में होने वाला रेडियो संचार बाधित कर दिया।

 

11 वर्षीय सौर चक्र के हाई पॉइंट पर पहुंचा सूरज

वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य अपना 11 साल का सौर चक्र पूरा कर रहा है और यह अविश्वसनीय रूप से धधक रहा है। यह अपने 11 वर्षीय सौर चक्र के सबसे हाई पॉइंट पर है। इसमें लगातार सौर ज्वालाएं फूट रही हैं, जो आपस में टकराकर सनस्पॉट बनाती हैं। 8 फरवरी को ऐसा ही एक सनस्पॉट धरती की सीधी दिशा में बना, लेकिन चक्रीय रूप में यह कुछ ही घंटों में धरती की लाइन से बाहर हो गया।

इस सनस्पॉट को मंगल की सतह पर पर्सिवरेंस रोवर से देखा गया था। सौर ज्वालाओं को उनके साइज के मुताबिक, कैटेगरी में बांटा जाता है। एक्स-क्लास सबसे शक्तिशाली सौर ज्वालाओं की होती है, जो काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं। फिर एम-क्लास के फ्लेयर्स होते हैं, जो एक्स-क्लास फ्लेयर्स से 10 गुना छोटे हैं। इसके बाद सी-क्लास, बी-क्लास और आखिर में ए-क्लास फ्लेयर्स, जो पृथ्वी को कम प्रभावित करती हैं।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Feb 10, 2024 09:33 AM

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