डॉ. आशीष कुमार। अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL – Physical Research Laboratory) के वैज्ञानिकों ने सौर मंडल ( Solar System) से बाहर बृहस्पति से बड़े आकार के ग्रह को खोज निकाला है। पीआरएल में कार्यरत प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में एक्सोप्लैनेट रिसर्च ग्रुप के वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को खोजा है। इस ग्रुप में कई देशों के वैज्ञानिक भी शामिल थे।
खोजे गए इस ग्रह का घनत्व 14 ग्राम प्रति घन सेमी और द्रव्यमान बृहस्पति से 13 गुना है। यह एक एक्सोप्लेनेट है। इस विशाल एक्सोप्लैनेट की खोज माउंट आबू स्थित गुरुशिखर वेधशाला के 1.2 मीटर व्यास के पारस टेलीस्कोप की मदद से की गई है। स्वदेशी रूप से निर्मित पारस (PARAS telescope) यानी पीआरएल एडवांस्ड रेडियल वेलोसिटी अबू स्काई सर्च स्पेक्ट्रोग्राफ भी कहा जाता है। इसके उपयोग से इस एक्सोप्लेनेट (Exoplanet) के द्रव्यमान का सटीक आकलन किया गया है।
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साढ़े सात दिन में करता है अपने तारे की परिक्रमा (Science News)
खोजे गए एक्सोप्लैनेट को टीओआई 4603 (TOI 4603) नाम दिया गया है। यह एचडी 245134 (HD245134) तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह पृथ्वी से 736 प्रकाश वर्ष दूर है। यह अपने तारे की करीब साढ़े सात दिन में एक परिक्रमा पूरी करता है। यह ग्रह एक विशाल गोले के रूप है। इस ग्रह की सतह का तापमान 1607 केल्विन आंका गया है।
प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में काम करने वाली टीम में भारत, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के वैज्ञानिक भी शामिल थे। किसी भारतीय वैज्ञानिकों की टीम द्वारा खोजा गया यह तीसरा एक्सोप्लैनेट है। नासा ने प्रारंभिक खोजों में इसे ग्रह न मानकर द्वितीयक पिंड माना था, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों की खोज से साबित हो गया है कि एक ग्रह है जो एक विशाल तारे का चक्कर लगा रहा है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने पारस का उपयोग करते हुए द्वितीयक पिंड के द्रव्यमान को मापकर इसे एक ग्रह के रूप में खोजा है। यह हर 7.24 दिनों में एक उप विशालकाय एफ टाइप स्टार की परिक्रमा करता है। इस एक्सोप्लैनेट का द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान का 11 से 16 गुना अधिक है। अभी तक इस व्यापक रेंज में केवल पांच एक्सोप्लैनेट ही ज्ञात हैं।
विशाल एक्सोप्लैनेट्स वे माने जाते हैं, जिनका द्रव्यमान बृहस्पति से चार गुना या अधिक होता है। खोजा गया एक्सोप्लैनेट टीओआई 4603 विशाल और घने विशालकाय ग्रहों में से एक है, जो हमारे सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी के 10वें हिस्से से कम दूरी पर अपने मेजबान तारे की परिक्रमा कर रहा है।
(लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)