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Chandrayan-3: चांद की सतह पर कैसे लैंड करेगा चंद्रयान-3? जानें पूरा प्रॉसेस

Chandrayan-3: पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान-3 मिशन अब अपने अंतिम चरण में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-3 को बुधवार की शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा। मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर यह लैंडिंग सिर्फ 25 किमी की ऊंचाई से […]

Edited By : jp Yadav | Updated: Aug 23, 2023 11:26
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Chandrayan-3
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Chandrayan-3: पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान-3 मिशन अब अपने अंतिम चरण में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-3 को बुधवार की शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा। मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर यह लैंडिंग सिर्फ 25 किमी की ऊंचाई से कराई जाएगी और यह कई चरणों में चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा।

ऑटोमैटिक होगी लैंडिंग

इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन के लिए बुधवार शाम को 5 से 6 बजे के बीच का समय बेहद अहम होने वाला है, क्योंकि इसरो के लिए लैंडिंग के 17 मिनट चुनौती भरे होंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक, विक्रम लैंडर अपने इंजन को तय समय पर चालू करेगा और उचित ऊंचाई यानी 25 किलोमीटर से लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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यहां पर यह जानकारी भी दे दें कि चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी। इसके लिए भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क कुछ घंटे पहले ही यानी लैंडिंग से पहले जरूरी कमांड एलएम पर अपलोड करेगा। इसके बाद धीरे-धीरे लैंडिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

25 किलोमीटर की ऊंचाई से होगी लैंडिंग

बताया जा रहा है कि रूस का लूना-25 मिशन चंद्रमा पर लैंडिंग से पहले ही क्रैश कर गया। इसके पीछे उसकी तेज गति भी बताई जा रही है। ऐसे में भारतीय वैज्ञानिक इससे सतर्क हैं। लैंडिंग की प्रक्रिया के चरण में 25 किलोमीटर की ऊंचाई से विक्रम लैंडर पावर ब्रेकिंग चरण में दाखिल होगा। इसके बाद इसकी गति कम की जाएगी, ऐसा सतर्कता बरतते हुए किया जाएगा। इसके अगले चरण में चंद्रमा की सतह तक उतरने में चार थ्रस्टर इंजन को रेट्रो फायर करके इस्तेमाल करना होगा।

वहीं, सॉफ्ट लैंडिंग के चरण में जब चंद्रयान 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा तो सिर्फ 2 इंजनों का ही इस्तेमाल किया जाएगा और बाकी 2 को बंद कर दिया जाएगा। इसका मकसद विक्रम लैंडर को रिवर्स थ्रस्ट देना होगा। इसके बाद अगले चरण में करीब 150 मीटर के आसपास की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर सेंसर और कैमरों की मदद से सतह का स्कैन करने का काम तेज कर देगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, विक्रम लैंडर और रोवर एक जीवन चंद्र दिवस यानी 14 दिन का होगा।

गौरतलब है कि लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसके बाद लगातार सफलता की ओर आगे बढ़ रहा है।

 

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Written By

jp Yadav

First published on: Aug 23, 2023 11:20 AM

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