Chandrayaan-3 Rover Pragyan Got Missing: पूरा देश इन दिनों चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग का जश्न मना रहा है। जश्न हो भी क्यों न? आखिर हम दुनिया के इकलौते देश हैं, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचे हैं। चंद्रमा की सतह पर रोवर प्रज्ञान लैंडर से 8 मीटर आगे बढ़ चुका है। उसके सारे सेंसर भी काम कर रहे हैं। लेकिन अभी चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। एक चुनौती तो रोवर को चंद्रमा पर उतरने से पहले ही करना पड़ा। रोवर लैंडर के भीतर था, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पा रहा था। इस पर इसरो के वैज्ञानिक चिंता में पड़ गए। तत्काल एक इंटरनेशनल एजेंसी की मदद ली गई। आखिरकार रोवर को लैंडर विक्रम के पेट से बाहर आने में 10 घंटे लग गए।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के चीफ एस सोमनाथ ने एक टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि चंद्रमा पर कई चुनौतियां हैं। पहला वहां के ग्राउंड लेवल विजिबिलिटी है। तापमान दूसरी चुनौती है। जब रोवर से संपर्क नहीं हो पा रहा था तो एक विदेशी एजेंसी की मदद ली गई। मदद रंग लाई।
Chandrayaan-3 Mission:
🔍What's new here?Pragyan rover roams around Shiv Shakti Point in pursuit of lunar secrets at the South Pole 🌗! pic.twitter.com/1g5gQsgrjM
---विज्ञापन---— ISRO (@isro) August 26, 2023
इसरो से रोवर का डायरेक्ट कनेक्शन नहीं
दरअसल, लैंडर इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के साथ संपर्क में है। इसके अलावा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से भी कनेक्शन जुड़ा हुआ है। रोवर का कनेक्शन लैंडर विक्रम से है। लेकिन इसरो से डायरेक्ट संपर्क नहीं है। इसलिए रोवर के सामने अगले 14 दिन बेहद चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। जिसमें से चार प्रमुख हैं।
सेंसर ठीक से काम करते रहें: अभी रोवर और लैंडर के सेंसर और सभी मैकेनिज्म अच्छे से काम कर रहे हैं। रोवर और लैंडर में लगे बैंड एंटेना भी काम कर रहे हैं।
लगातार आते हैं भूकंप: चंद्रमा की सतह पर भूकंप आते रहते हैं। भूकंप के तेज झटकों के कारण सेंसर और एंटेना को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है।
पॉवर सप्लाई बनी रहे: लैंडर और रोवर में सोलर पैनल लगे हैं। क्योंकि पॉवर सप्लाई का रोल काफी अहम है। लैंडर 738 वॉट की पॉवर जनरेट कर सकता है। रोवर का पैनल 50 वॉट बिजली पैदा कर सकता है। बैकअप प्लान भी बनाया गया है।
उल्का पिंड बन सकते हैं मुसीबत: चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण काफी कमजोर है। चंद्रमा से टकराने वाले उल्का पिंड भी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। उल्कापिंड से लैंडर को भी खतरा है।
Chandrayaan-3 Mission:
All planned Rover movements have been verified. The Rover has successfully traversed a distance of about 8 meters. (https://www.madisonavenuemalls.com/)
Rover payloads LIBS and APXS are turned ON.
All payloads on the propulsion module, lander module, and rover are performing nominally.…
— ISRO (@isro) August 25, 2023
अगले 14 दिन तपस्या से कम नहीं
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंड किया था। इसके करीब 10 घंटे के बाद रोवर लैंडर के पेट से बाहर आया था। पृथ्वी के 14 दिन के बराबर चंद्रमा पर एक दिन होता है। इस तरह रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर 14 दिन रहकर रसायन, खनिज, भूकंप, पानी आदि की जांच करेगा। अगले दो हफ्ते कड़ी तपस्या से कम नहीं है। थोड़ी सी भी असावधानी पूरे मिशन को फेल सकती है। इसलिए इसरो के वैज्ञानिक दिन-रात तपस्या कर रहे हैं।
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